दिल्ली यात्रा से पहले पुतिन का बयान-'भारत-रूस संबंध होंगे और मजबूत’

ऊर्जा से रक्षा तक, भारत के साथ साझेदारी बढ़ाने की तैयारी में है रूस। भारत के साथ सहयोग को नए स्तर पर ले जाने का लक्ष्य है।

By डॉ. अभिज्ञात

Dec 03, 2025 08:53 IST

मास्को (रूस): रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि मॉस्को का लक्ष्य भारत और चीन के साथ सहयोग को गुणात्मक रूप से नए स्तर तक ले जाना है। पुतिन ने यह टिप्पणी 4-5 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आमंत्रण पर नई दिल्ली में होने वाले 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन से पहले की।

मंगलवार को मॉस्को में एक निवेश मंच को संबोधित करते हुए पुतिन ने कहा कि ऊर्जा, उद्योग, अंतरिक्ष, कृषि और अन्य क्षेत्रों में अनेक संयुक्त परियोजनाओं का उद्देश्य चीन और भारत के साथ संबंधों को नई ऊँचाइयों पर ले जाना है। उन्होंने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ आर्थिक मुद्दों पर सार्थक संवाद स्थापित किया है और भारत यात्रा के दौरान पीएम मोदी के साथ भी ऐसे ही विस्तृत विचार-विमर्श की उम्मीद है। भारत की आगामी यात्रा के दौरान मोदी के साथ भी इन मुद्दों पर विस्तार से चर्चा करेंगे, जिसमें भारतीय वस्तुओं के हमारे बाजार में आयात बढ़ाने का विषय भी शामिल है।

मालूम हो कि भारत दौरे के दौरान पुतिन 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे और पीएम मोदी से वार्ता करेंगे। इससे पहले, क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा था कि इस यात्रा के दौरान अतिरिक्त S-400 लंबी दूरी की एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइलों की बिक्री पर चर्चा हो सकती है। हमारी सैन्य उद्योग क्षमता काफी अच्छी है। भारतीय सशस्त्र बलों में रूसी हथियारों का हिस्सा 36% है और हमें उम्मीद है कि यह आगे भी जारी रहेगा। रूस भारत द्वारा Su-57 पाँचवीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर जेट की संभावित खरीद पर भी चर्चा करना चाहता है। Su-57 दुनिया का सबसे अच्छा विमान है। Su-57 भी एजेंडा में रहेगा।

उन्होंने आगे कहा कि रक्षा उद्योग में हमारे सहयोग की बात करें तो ब्रह्मोस मिसाइलें इसका उदाहरण हैं। यह सिर्फ खरीद-फरोख्त नहीं, बल्कि उच्च तकनीक के आदान-प्रदान का मामला है, जो सहयोग के इस क्षेत्र के उज्ज्वल भविष्य का मार्ग प्रशस्त करता है। हम कई जटिल प्रणालियां विकसित कर रहे हैं और इस दिशा में हमारे पास क्षमताएं हैं। हम अपने भारतीय मित्रों के साथ अपना अनुभव साझा करने के लिए तैयार हैं। क्रेमलिन प्रवक्ता पेस्कोव ने यह भी कहा कि राष्ट्रपति की भारत यात्रा के दौरान परमाणु ऊर्जा पर एक समझौते की संभावना है। एक छोटे रिएक्टर का प्रस्ताव होगा। रूस के पास छोटे और लचीले रिएक्टर की महत्वपूर्ण तकनीक है और इन्हें बनाने का वास्तविक अनुभव भी है। हम परस्पर निवेश और संयुक्त निवेश कर रहे हैं। भारत में शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र के निर्माण में कुडनकुलम में हम शामिल रहे हैं और इस परियोजना के आगे बढ़ने की उम्मीद रखते हैं।

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