मुंबईः जानी-मानी गायिका और अभिनेत्री सुलक्षणा पंडित नहीं रहीं। 6 नवंबर 2025 की शाम भारतीय सिनेमा का एक रोशन सितारा टूट गया। 71 वर्ष की उम्र में उन्होंने मुंबई के नानावटी अस्पताल में अंतिम सांस ली। लंबे समय से चल रही बीमारी ने उन्हें संगीत की उस दुनिया से दूर कर दिया था, जहां उनकी आवाज अमर धुनें रचा करती थीं।
उनका जन्म 12 जुलाई 1954 को संगीत से जुड़े एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था। बचपन ही सुरों से उनका परिचय होने लगा था। सुलक्षणा के चाचा शास्त्रीय गायक पंडित जसराज थे। उनके भाइयों जतिन और ललित ने हिंदी सिनेमा में संगीतकार के तौर पर पहचान बनाई है। बहन विजयता पंडित भी फिल्म और संगीत जगत में सक्रिय रहीं।
नौ वर्ष की उम्र में ही उन्होंने गाना शुरू किया। साल 1967 की फिल्म तकदीर में लता मंगेशकर के साथ उनका गाया गीत 'सात समुंदर पार से' ने उन्हें पहचान दे दी। उन्होंने किशोर कुमार, मोहम्मद रफी, येसुदास और उदित नारायण जैसे दिग्गजों के साथ कई युगल गीत गाए। फिल्म 'संकल्प' (1975) के गाने 'तू ही सागर है तू ही किनारा' के लिए उन्हें फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला। 1980 में उनकी गजलों का एलबम 'जज़्बात' रिलीज हुआ, जिसने उन्हें एक खास पहचान दी।
संगीत के साथ-साथ अभिनय में उनका फिल्मी सफर 1975 में उलझन से शुरू हुआ, जिसमें उन्होंने संजीव कुमार के साथ मुख्य भूमिका निभाई। शूटिंग के दौरा संजीव कुमार के करीब आयीें और उनसे प्यार करने लगीं। शादी का प्रस्ताव रखा लेकिन यह रिश्ता नहीं बना। संजीव कुमार अभिनेत्री हेमा मालिनी से एकतरफा प्रेम करते थे इसीलिए उन्होंने सुलक्षणा का प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया। सुलक्षणा ने दिल टूटने के बाद कभी शादी न करने का फैसला लिया।
संजीव कुमार के निधन के बाद सुलक्षणा एक गहरे अवसाद में चली गईं और सार्वजनिक जीवन से दूरी बना ली। उनकी तबीयत बिगड़ने लगी और स्मृति कमजोर होने लगी। बहन विजयता पंडित ने 2006 में उन्हें अपने घर ले जाकर उनकी देखभाल की। एक दुर्घटना में हिप बोन टूट जाने के बाद वे चलने-फिरने में असमर्थ हो गईं। सुलक्षणा ने एक दौर में लगभग सभी शीर्ष अभिनेताओं के साथ काम किया। हेरा फेरी (1976) में विनोद खन्ना, भोलाभाला (1978) में राजेश खन्ना और चंबल की कसम (1980) में शशि कपूर के साथ उनकी जोड़ी पसंद की गयी। उन्होंने बंगाली सिनेमा में काम किया और दिग्गज अभिनेता उत्तम कुमार के साथ बंदी (1978) में अभिनय किया। उनका आखिरी प्लेबैक सांग1996 में फिल्म खामोशी: द म्यूजिकल था। इसका संगीत जतिन-ललित ने तैयार किया था।
उन्हें संगीत, अभिनय, अधूरी मोहब्बत और अकेलेपन के लिए याद किया जायेगा। अकेलपने की छाया से वे कभी पूरी तरह मुक्त नहीं हो पाईं। जिस संजीव कुमार से उन्होंने ता-उम्र प्रेम किया, उसी की मृत्यु की 40वीं बरसी पर 6 नवंबर के दिन सुलक्षणा ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। उनका जीवन एक ऐसी उदास धुन की तरह था जो खामोशी में को और गहराई देता है।