नयी दिल्लीः टेस्ला और स्पेसएक्स के CEO एलन मस्क ने अपनी कंपनी स्टारलिंक (Starlink) की तेज़ गति वाली इंटरनेट सेवा भारत में शुरू करने को लेकर गहरी रुचि जताई है। उन्होंने बताया कि उनकी कंपनी यह सेवा पहले ही 150 देशों में आरंभ कर चुकी है। मस्क का मानना है कि भारत के ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट सेवा को बेहतर बनाने में स्टारलिंक एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
निखिल कामत के एक पॉडकास्ट शो में मस्क ने अमेरिका की H-1B वीज़ा नीति से लेकर अपने निजी जीवन के कई पहलुओं पर बात की। उसी बातचीत में स्टारलिंक का मुद्दा भी आया। दुनिया के सबसे धनी व्यक्तियों में से एक मस्क ने स्पष्ट कहा कि स्टारलिंक पारंपरिक टेलीकॉम कंपनियों से प्रतिस्पर्धा नहीं करेगा, बल्कि उनके पूरक के रूप में काम करेगा। खासकर उन क्षेत्रों में, जहां सही ढंग से सेवा नहीं मिल पाती।
मस्क ने स्टारलिंक सेवा की तीन प्रमुख खूबियों पर जोर दिया।
पहला: लो-लेटेंसी (Low-Latency) कनेक्टिविटी। स्टारलिंक के सैटेलाइट पृथ्वी से सिर्फ 550 किमी ऊपर लो-अर्थ ऑर्बिट (LEO) में रहते हैं, जो सामान्य जियोस्टेशनेरी सैटेलाइट (36,000 किमी) की तुलना में काफी कम है।
दूसरा: लेज़र मेष (Laser Mesh) नेटवर्क। मस्क बताते हैं कि सैटेलाइटों के बीच लेज़र लिंक होते हैं, जो एक जाली जैसी नेटवर्क संरचना बनाते हैं। इसका फायदा यह है कि अगर किसी प्राकृतिक आपदा जैसे बाढ़ या भूकंप में ज़मीन पर लगी फाइबर या ऑप्टिकल केबल कट जाए तो भी सैटेलाइट आपस में संपर्क बनाए रखते हैं और सेवा बाधित नहीं होती। हाल ही में रेड सी में केबल कटने के बाद भी स्टारलिंक की सेवा बंद नहीं हुई थी।
तीसरा: मस्क मानते हैं कि घनी आबादी वाले शहरों में, जहाँ हर एक किलोमीटर पर एक सेल टॉवर होता है, वहाँ स्टारलिंक उतनी उपयोगी नहीं है। लेकिन ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्रों में—जहाँ फाइबर बिछाना कठिन और महंगा है-वहाँ स्टारलिंक का सैटेलाइट इंटरनेट सबसे बढ़िया विकल्प है।
मस्क ने कहा कि शहरों में जो टॉवर एक किलोमीटर की दूरी पर होता है, उसके मुकाबले हम भौतिकी के नियमों के अनुसार प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते। लेकिन ग्रामीण इलाकों में और शहरी क्षेत्रों के 1–2 प्रतिशत कमज़ोर कनेक्टिविटी वाले हिस्सों में हम सेवा देने के लिए तैयार हैं।