बिहार विधानसभा चुनाव में लंबे इंतजार के बाद 23 अक्टूबर 2025 को महागठबंधन ने मुकेश सहनी को डिप्टी सीएम फेस घोषित किया जिससे निषाद समुदाय को साधने और गठबंधन की एकजुटता दिखाने का संदेश दिया गया।इसमें कोई दो राय नहीं है कि महागठबंधन ने यह घोषणा कर सबको चौंका दिया। कांग्रेस या गठबंधन के किसी अन्य बड़े सहयोगी दल की बजाय विकासशील इंसान पार्टी VIP के प्रमुख मुकेश सहनी को बिहार में डिप्टी सीएम केचेहरेके तौर पर चुना गया है।
महागठबंधन यानी इंडिया ब्लॉक ने तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद और वीआईपी के मुकेश सहनी को डिप्टी सीएम का चेहरा घोषित किया है। कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि यह घोषणा बिहार विधानसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ एनडीए पर दबाव बनाने के लिए रणनीतिक रूप से की गई है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि उन्होंने बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान के साथ काम किया है। वह भंसाली की क्लासिक 'देवदास' की टीम में थे लेकिन सवाल ये उठता है कि सिर्फ 15 सीटों वाली वीआईपी पार्टी के प्रमुख महागठबंधन में इतने महत्वपूर्ण कैसे हो गए?
मुकेश सहनी कौन हैं?
मुकेश सहनी बिहार के दरभंगा जिले के निवासी हैं। उन्होंने मल्लाह और निषाद समुदाय का प्रतिनिधित्व करने के लिए 2018 में विकासशील इंसान पार्टी का गठन किया था। मल्लाह समुदाय बिहार के 29% अति पिछड़े समुदाय का हिस्सा है। गौरतलब है कि वह खुद को मल्लाह पुत्र कहलाना पसंद करते हैं।
मुकेश सहनी अपने शुरुआती जीवन में सिनेमा से जुड़े रहे। 19 साल की उम्र में वे बिहार छोड़कर मुंबई चले गए। वहां उन्होंने पहले सेल्समैन का काम किया। बाद में उन्होंने बॉलीवुड में सेट डिज़ाइनर के रूप में कदम रखा। उन्होंने शाहरुख खान की देवदास और सलमान खान की बजरंगी भाईजान जैसी हिट फिल्मों में काम किया। मुंबई में उनकी मुकेश सिने वर्ल्ड प्राइवेट लिमिटेड नाम की एक कंपनी भी थी। 2013 में डॉ. भीमराव अंबेडकर और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर जैसे दिग्गजों से प्रेरित होकर वे पिछड़े वर्गों के लिए लड़ने के लिए बिहार लौट आए।
महागठबंधन में मुकेश इतने अहम क्यों हैं?
महागठबंधन के सीटों के आंकड़े बताते हैं कि कांग्रेस 61 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। भाकपा माले (लिबरेशन) 20 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। कुल मिलाकर वामपंथी दल 30 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन मुकेश द्वारा बड़े सहयोगियों की बजाय वीआईपी को नजरअंदाज करने के पीछे कई कारण हैं। पहला बिहार का जातीय समीकरण। दूसरा गठबंधन को बरकरार रखना। सूत्रों के मुताबिक गुरुवार को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा से पहले मुकेश सहनी ने जोर देकर कहा था कि जब तक उन्हें उपमुख्यमंत्री का पद नहीं दिया जाता वे बैठक में शामिल नहीं होंगे।
आखिरी वक्त में कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने मामले को सुलझाने के लिए दखल दिया। उन्होंने राजद से संपर्क किया और मुकेश सहनी के नाम पर सहमति हासिल की। कांग्रेस आलाकमान ने भी कहा कि इसमें कोई दिक्कत नहीं है लेकिन ऐसी स्थिति में किसी और को उपमुख्यमंत्री बनाने का विकल्प खुला रहना चाहिए। भाकपा-माले लिबरेशन ने भी इस प्रस्ताव पर सहमति जताई।
मुकेश शुरू से ही गठबंधन के साथ बातचीत कर रहे हैं। शुरुआत में उनकी मांग 50 सीटों की थी जो अंततः गठबंधन सहयोगियों के दबाव में घटकर 15 रह गई। इसलिए उन्होंने उपमुख्यमंत्री का पद न छोड़ने की जिद की। सहयोगियों ने उनकी मांग मान ली ताकि मुकेश सहनी गठबंधन न छोड़ें। हालांकि सहनी का पहले भी पाला बदलकर एनडीए की ओर जाने का रिकॉर्ड रहा है।
जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए महागठबंधन ने मल्लाहों के प्रतिनिधि मुकेश सहनी को तुरुप का इक्का बनाया। हालांकि आखिरी समय में यह तुरुप का इक्का मतदान में कारगर होगा या नहीं इसका जवाब 14 नवंबर को मिलेगा।