‘खैराती योजना’ के बल पर हासिल की जीत? बिहार में NDA की सफलता की वजह हैं ये 5 फैक्टर

विशेषज्ञ बड़ी जीत को किस विशेषण से बताएं? राजनीतिक विश्लेषक शब्द ढूंढ रहे हैं। लेकिन जीत के पीछे कौन-कौन से फैक्टर काम कर रहे हैं, इसमें उन्हें कोई संदेह नहीं है।

By कौशिक भट्टाचार्य, Posted by: श्वेता सिंह

Nov 14, 2025 21:38 IST

सुनामी, लैंडस्लाइड या विध्वंसकारी? एनडीए की भव्य जीत को किस विशेषण के जरिए जाहिर करें, राजनीतिक विशेषज्ञ समझ नहीं पा रहे हैं। नहीं, अभी जीत की घोषणा नहीं हुई। यह बस समय की बात है। दीवारों पर लिखी बातें स्पष्ट हैं, एनडीए और अधिक शक्ति के साथ सत्ता में लौट रहा है। लेकिन सवाल यह है कि इतनी भव्य जीत किस वजह से हुई? इसके पीछे कौन-कौन से फैक्टर काम कर रहे हैं?

बिहार में चुनाव प्रचार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘दस हजार की चुनाव है, दूसरी तरफ कट्टा सरकार है।’ यानी सीधे-सीधे ‘जंगलराज’ की आलोचना। विधानसभा चुनाव में आरजेडी इस दाग को मिटा कर फिर से खड़ा नहीं हो सकी। अपराध और भ्रष्टाचार के कारण तेजस्वी की पार्टी दबाव में रही। इसके साथ ही महागठबंधन की भी स्थिति समाप्त हो गई। हालांकि यह भव्य जीत एक सोची समझी रणनीति और अन्य समीकरणों का परिणाम है। राजनीतिक विश्लेषकों के एक वर्ग के अनुसार, जीत के पीछे ‘भत्ता’ का खेल काम कर रहा है। हां, ‘खैराती योजना’ के बल पर ही एनडीए ने यह जीत हासिल की है।

महिला वोट का बड़ा फैक्टर

बिहार में महिला वोटरों को दोनों पक्षों ने ध्यान में रखा। तेजस्वी ने सालाना 30,000 रुपये देने का वादा किया। भाजपा का वायदा 10,000 रुपये का था।

1.3 करोड़ महिलाओं को व्यवसाय करने के लिए 10,000 रुपये देना सिर्फ वादा नहीं था। दिल्ली से बिहार की ‘मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना’ की शुरुआत कर मोदी ने यह राशि सीधे खातों में भेज दी। दो चरणों के चुनाव में महिलाओं ने बड़े पैमाने पर वोट दिया और यह वोट भाजपा और एनडीए की ओर गया। वास्तव में खाते में 10,000 रुपये आते ही महिलाओं ने नीतीश की प्रतिबद्धता को भरोसेमंद माना।

बुजुर्गों में भारी समर्थन

बुजुर्गों को एनडीए सरकार पहले 400 रुपये प्रति माह देती थी। चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसे 1,100 रुपये कर दिया। इस घोषणा के बाद बुजुर्गों ने दोनों हाथों से नीतीश को आशीर्वाद दिया। उनके अनुसार, नीतीश समसामयिक हैं और उनके दुख को समझते हैं, जितना भी हो, उन्हें ‘सुशासन बाबू’ माना गया।

मुफ्त बिजली योजना का असर

मुफ्त बिजली योजना कभी किसी को खाली हाथ नहीं लौटाती। दिल्ली में अरविंद केजरीवाल ने कमाल किया। बिहार में भी एनडीए के घर में रोशनी जली। 125 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने का निर्णय नीतीश कुमार ने लिया। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, ग्रामीण बिहार में इसका व्यापक प्रभाव पड़ा। एक ग्रामीण ने कहा, ‘हमारी गाएं और भेड़ें भी अब पंखे के नीचे सो रही हैं।’

SIR और विपक्ष की गलत रणनीति

बिहार में कानून-व्यवस्था बड़ा मुद्दा था। चुनाव घोषणा के बाद लगातार हुई हत्याओं ने नीतीश सरकार को दबाव में डाल दिया। पटना में दिनदहाड़े उद्योगपति गोपाल खेमका की हत्या ने कानून-व्यवस्था की खामियों को दिखाया। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, विपक्ष ने सब छोड़कर SIR पर ध्यान केंद्रित किया। वोट चोरी के मुद्दे पर राहुल गांधी सक्रिय हुए लेकिन इसका वोट पर कोई असर नहीं पड़ा। बेरोजगारी और कानून-व्यवस्था पर प्रशांत किशोर ने जोर दिया, कुछ फायदा मिला, लेकिन वोट कहीं नहीं आया। विपक्ष में मत बंट गया।

मोदी के नरेटिव पर भरोसा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रचार की धुन तय की। कट्टा, दूनाली, जंगलराज। वोटरों के मन में यह संदेश डाला कि अगर महागठबंधन और तेजस्वी सत्ता में आए तो बिहार में जंगलराज वापस आएगा। दिन की रोशनी में अपराधी घूमेंगे। इसी धुन से बिहारवासियों ने ताल मिलाई।

नीतीश का जोरदार कमबैक

इस चुनाव में नीतीश कुमार ने भी जोरदार वापसी की। 2020 में 115 सीटों में से 43 सीटें जीतना जेडीयू के लिए सबसे खराब परिणाम था। पांच साल में उन्होंने बदलाव किया। भाजपा और जेडीयू ने 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ा। शाम 6 बजे तक प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, एनडीए 202 सीटों में आगे है। इसमें भाजपा 92 सीटों में, जेडीयू 85 सीटों में आगे है। पिछले चुनाव की तुलना में लगभग दोगुनी जीत का संकेत मिल रहा है। सुबह नीतीश के घर के बाहर ‘टाइगर जिंदा है’ पोस्टर आसानी से नहीं लगा था। सच में, इस जीत को किसी विशेषण में बांधना मुश्किल है।

Prev Article
कांग्रेस के सहारे भी लालटेन न जल सकी, तेजस्वी ने बचायी यादव कुनबे की लाज
Next Article
NDA का बिहार में प्रचंड विजय प्रदर्शन, INDIA गठबंधन हुआ धराशायी

Articles you may like: