सुशांत सिंह राजपूत की बहन चुनाव प्रचार में नहीं ले रहीं भाई का नाम, स्टारडम या पैसों का नहीं लिया सहारा

भाकपा माले की युवा उम्मीदवार दिव्या गौतम अपनी युवा और वामपंथी विचारधारा के साथ सड़कों पर घूम रही हैं।

By अमर्त्य लाहिड़ी, Posted by: श्वेता सिंह

Nov 03, 2025 16:17 IST

बिहार विधानसभा चुनाव अपने चरम पर हैं। ऐसे में पटना का दीघा विधानसभा क्षेत्र एक कड़े मुकाबले का केंद्र बन गया है। एक तरफ दो बार के भाजपा विधायक संजीव चौरसिया हैं। अभिनेता और सांसद मनोज तिवारी जैसे सितारे उनके लिए प्रचार करते नजर आ रहे हैं। दूसरी तरफ भाकपा (माले) की युवा उम्मीदवार दिव्या गौतम (33) हैं जो युवाओं और वामपंथी विचारधारा के साथ सड़कों पर घूम रही हैं। उनके प्रचार में न कोई स्टार है, न ही कोई आर्थिक ताकत। उनके परिवार में एक सुपरस्टार है लेकिन दिव्या जानबूझकर उस नाम से भी परहेज कर रही हैं।

स्टार बनाम मध्यम वर्ग प्रत्याशी

मनोज तिवारी राजीव नगर इलाके में पिछले दिनों संजीव चौरसिया के लिए प्रचार करने आए थे। उन्होंने गाना गाकर लोगों से 'विनम्र विधायक' को दोबारा चुनने की अपील की। मनोज तिवारी जहां गा रहे थे उससे सिर्फ दो किलोमीटर दूर गोसाईं टोला इलाके में दिव्या गौतम भी भीड़ के बीच अपनी बातें रख रही थीं। वे किसी स्टार को देखने नहीं आए थे। वे भाकपा(माले), राजद और कांग्रेस नेताओं के नाम पर नारे लगा रहे थे। दिव्या का एक कोने से दूसरे कोने तक जाकर जनसंपर्क करना ही उनका हथियार है।

दिव्या ने चुनाव लड़ने के लिए कोई बड़ा चंदा नहीं लिया। वह क्राउडफंडिंग पर निर्भर हैं। उन्होंने साफ कर दिया है कि वह इस धारणा को तोड़ना चाहती हैं कि चुनाव सिर्फ धन और बाहुबल के बल पर ही लड़े जा सकते हैं। वह यह दिखाना चाहती हैं कि आम मध्यम वर्ग के लोग भी सीमित शक्ति के साथ चुनाव लड़ सकते हैं। दिव्या ने बताया कि पटना विश्वविद्यालय में छात्र राजनीति के दौरान भी उन्होंने इसी नीति का पालन किया था।

प्रचार अभियान में सुशांत सिंह का जिक्र नहीं

2021 के बिहार चुनाव में भाजपा ने बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत को चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश की। इस बार सुशांत का नाम कहीं नहीं है। दिव्या गौतम दिवंगत अभिनेता की चचेरी बहन हैं। वह प्रचार अभियान में अपने भाई के नाम का इस्तेमाल कर सकती थीं लेकिन वह जानबूझकर ऐसा नहीं कर रही हैं। दिव्या गौतम ने कहा कि उनके अनुसार यह अनैतिक है। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने कॉलेज में राजनीति में प्रवेश किया था तब सुशांत एक टीवी स्टार थे। फिर भी उन्होंने कभी भी अपने भाई के स्टारडम का राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल नहीं किया।

क्षेत्रीय समीकरण

बिहार का सबसे बड़ा निर्वाचन क्षेत्र दीघा है। यहां 4.55 लाख से ज्यादा मतदाता हैं। इस निर्वाचन क्षेत्र में महिला मतदाताओं की संख्या पूरे राज्य में सबसे ज्यादा है जो कुल मतदाताओं (2.17 लाख) की लगभग आधी है। बिहार चुनाव में जाति का मुद्दा भी उठेगा। संजीव चौरसिया वैश्य समुदाय से हैं और दिव्या गौतम राजपूत हैं। दीघा में कायस्थ, राजपूत, ब्राह्मण, भूमिहार जैसी सवर्ण जातियों के साथ-साथ यादव समेत कई पिछड़ी जातियों के लोग भी हैं। भाकपा (माले) के अनुसार किसी एक जाति विशेष से नहीं बल्कि सभी जातियों के युवा और महिला मतदाता दिव्या गौतम को वोट देंगे।

भाजपा प्रत्याशी से नाखुश है जनता

मीडिया में छपी खबरों के अनुसार स्थानीय स्तर पर संजीव चौरसिया के खिलाफ सत्ता-विरोधी भावना है। स्थानीय निवासियों ने शिकायत की है कि चुनाव के अलावा कभी अपने इलाके में दिखाई नहीं देते। कई लोगों का कहना है कि 10 साल तक भाजपा को वोट देने के बावजूद दीघा में व्यावहारिक रूप से कुछ भी नहीं हुआ है। यहां तक कि स्वच्छता जैसी बुनियादी सेवाएं भी उपलब्ध नहीं हैं। नीतीश सरकार के खिलाफ गुस्सा है। लोगों का कहना है कि यह सरकार बाढ़ से निपटने में विफल रही है, रोजगार के अवसर पैदा करने में विफल रही है। इसके साथ ही भ्रष्टाचार के आरोप भी लग रहे हैं।

पहले चरण में यानी 6 नवंबर को दीघा में मतदान होगा। अब देखना यह कि एक सामान्य मध्यमवर्गीय परिवार के उम्मीदवार की साधारण अपील मतदाताओं पर कितना असर करती है।

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