रेलवे को बुलंदी पर पहुंचाने का दावा करने वाले लालू यादव रेल की बदइंतजामी पर बिफरे

लालू यादव का वार — “छठ पर भी बिहारियों को नहीं मिली सम्मानजनक यात्रा”, रेल व्यवस्था पर केंद्र सरकार को घेरा

By श्वेता सिंह

Oct 25, 2025 18:19 IST

छठ पर्व जैसे आस्था और जनभावनाओं से जुड़े अवसर पर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने केंद्र सरकार पर बड़ा हमला बोला है। लालू यादव जो कभी देश के रेल मंत्री रह चुके हैं और “रेल को बुलंदी पर पहुंचाने” का दावा करते रहे हैं, इस बार रेलवे की बदइंतजामी पर खुलकर बरसे। उन्होंने कहा कि आज बिहार की जनता “जानवरों से भी बदतर हालत” में ट्रेनों में सफर करने को मजबूर है।

लालू का आरोप: “झूठा प्रचार, बिहारियों की दुर्दशा”

लालू प्रसाद यादव ने अपने X (पूर्व ट्विटर) हैंडल पर लिखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दावा किया था कि देश की 13,198 ट्रेनों में से 12,000 ट्रेनें छठ पर्व के अवसर पर बिहार के लिए चलाई जाएंगी लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल उलट है। उन्होंने तंज कसते हुए लिखा कि “झूठ के बेताज बादशाह और जुमलों के सरदार फिर बोले झूठ। 20 वर्षों की एनडीए सरकार बिहारियों को छठ पर भी सम्मानजनक यात्रा की सुविधा नहीं दे सकी।” पूर्व रेल मंत्री ने कहा कि प्रवासी मजदूरों को अपने गांव लौटने के लिए टिकट, भीड़ और ट्रेन लेट होने जैसी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। लालू ने कहा “रेलवे स्टेशनों पर अफरा-तफरी मची हुई है, यह बिहारियों के लिए शर्मनाक स्थिति है”।

लालू को अपना जमाना याद आया

वर्ष 2004 से 2009 तक लालू यादव ने केंद्र में रेल मंत्रालय संभाला था। उस दौर को लेकर उनका दावा है कि रेलवे ने पहली बार मुनाफा कमाया था और आम लोगों को सुविधाएं दी गई थीं। लालू के जमाने में कुछ खास पहल शुरू की गयी थीं। गरीब रथ एक्सप्रेस शुरू की गयी थी। पहली बार एसी ट्रेन को आम वर्ग की पहुंच में लाने की कोशिश की गयी थी। इस ट्रेन का किराया कम और सुविधायें अधिक थीं। उनका मानना था कि एसी में सफर सिर्फ अमीरों के लिए न रहे। आम जनता को भी ट्रेन में तमाम सुविधाएं मिले।

कुल्हड़ चाय, लस्सी, छाछ की बिक्री शुरू की गयी थीं। लालू ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए स्टेशनों पर मिट्टी के कुल्हड़ों में पेय पदार्थों की बिक्री शुरू कराई। लालू का कहना था कि उनके कार्यकाल में भारतीय रेल ने करीब 90 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ अर्जित किया था। हालांकि इन योजनाओं में से कई आगे चलकर टिक नहीं पाईं। विशेषज्ञों का कहना है कि परिकल्पनाएं उत्कृष्ट थीं लेकिन क्रियान्वयन कमजोर रहा।

बिहार के लिए नई ट्रेनें और एनडीए सरकार का दावा

बीते महीनों में केंद्र सरकार ने बिहार के लिए तीन अमृत भारत एक्सप्रेस और चार नई यात्री ट्रेनों का उद्घाटन किया था। दरभंगा-अजमेर, मुजफ्फरपुर-हैदराबाद और छपरा-दिल्ली के बीच चलने वाली नई ट्रेनें बिहार के 25 जिलों को जोड़ती हैं।

सरकार का कहना था कि ये ट्रेनें बिहार के लिए रेल संपर्क का नया युग साबित होंगी लेकिन लालू प्रसाद यादव ने इस दावे को “चुनावी दिखावा” करार दिया और कहा कि जमीन पर हकीकत कुछ और है। ट्रेनें चलती हैं पर जनता अब भी ठेल-ठेलकर सफर करती है।

बिहार में पलायन और विकास पर लालू का प्रहार

लालू ने कहा कि बिहार से हर साल करीब 4 करोड़ लोग रोजगार की तलाश में बाहर जाते हैं और यही लोग छठ जैसे अवसरों पर वापस लौटने में सबसे अधिक कठिनाई झेलते हैं। उन्होंने कहा, “डबल इंजन सरकार की गलत नीतियों ने बिहार को उद्योगविहीन बना दिया। छठ पर बिहार के लोगों को ट्रेन तक नहीं मिल रही — यह डबल इंजन की असफलता है।”

प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिक्रिया: ‘छठी मैया को समर्पित गीत’

इसी बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी छठ पर्व के अवसर पर X पर एक पोस्ट किया। उन्होंने लिखा कि “छठी मैया को समर्पित कुछ गीत साझा कर रहा हूं, जो सभी को मंत्रमुग्ध कर देंगे। बिहार सहित देश भर के श्रद्धालुओं को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं।” प्रधानमंत्री ने छठ के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व पर जोर दिया, लेकिन लालू यादव के आरोपों पर कोई सीधी प्रतिक्रिया नहीं दी।

चुनाव के दौर में ‘छठ की सियासत’

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 अब अपने निर्णायक चरण में हैं। पहले चरण का मतदान 6 नवंबर और दूसरे चरण का 11 नवंबर को होना है। ऐसे में लालू यादव का यह बयान केवल “रेल व्यवस्था” पर टिप्पणी नहीं बल्कि एक रणनीतिक राजनीतिक तीर माना जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि छठ बिहार की सांस्कृतिक आत्मा से जुड़ा पर्व है। इस पर बयान देना जनता की भावनाओं को सीधे छूता है। राजद समर्थक इसे “बिहारियों की आवाज़” बता रहे हैं, वहीं भाजपा नेता इसे “चुनावी नौटंकी” कहकर खारिज कर रहे हैं।

लालू प्रसाद यादव का यह बयान न केवल रेलवे की वर्तमान स्थिति पर सवाल उठाता है बल्कि बिहार की राजनीति में “छठ” को एक बार फिर चुनावी विमर्श के केंद्र में ला देता है। जहां एक ओर केंद्र सरकार नई ट्रेनों और विकास योजनाओं के दावे कर रही है, वहीं लालू यादव इन दावों को “जुमलों का पुलिंदा” बता रहे हैं। छठ पर्व की भावनाओं के बीच यह बयान निश्चित रूप से बिहार की चुनावी हवा का रुख प्रभावित कर सकता है।

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