हाजीपुर/पटना: बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने राघोपुर विधानसभा सीट से अपना नामांकन दाखिल कर दिया। बिहार की राजनीति में राघोपुर विधानसभा क्षेत्र सबसे चर्चित और हॉट सीट माना जाता है। इसके साथ ही बिहार की राजनीति में चर्चाओं का दौर और तेज हो गया है।
नामांकन के बाद मीडिया से बात करते हुए तेजस्वी यादव ने साफ कहा, “जनता मालिक है। राघोपुर की जनता ने दो बार भरोसा जताया, तीसरी बार भी आशीर्वाद मिलेगा। हम सिर्फ सरकार बनाने नहीं, बिहार को आगे ले जाने का संकल्प लेकर मैदान में उतरे हैं।”
दो सीटों से लड़ने की अटकलों पर जवाब
पिछले कुछ समय से तेजस्वी यादव के दो सीटों से चुनाव लड़ने की अटकलें तेज थीं। इस पर विराम लगाते हुए उन्होंने कहा, “पार्टी का जो भी निर्णय होगा, वही अंतिम होगा। फिलहाल मेरा पूरा ध्यान राघोपुर पर है।” गौरतलब है कि तेजस्वी यादव के भाग खड़े होने का दावा करने वाले जनसुराज पार्टी के मुखिया प्रशांत कुमार खुद चुनावी मैदान से नौ दो ग्यारह हो चुके हैं।
विकास बनाम जाति की जंग
राघोपुर जिसे लालू परिवार का गढ़ माना जाता है, इस बार विकास बनाम जाति की राजनीति का अखाड़ा बनता दिख रहा है। क्षेत्र में बाढ़, स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी, पुल निर्माण में देरी जैसे मुद्दे लंबे समय से उठते रहे हैं।
हालांकि, तेजस्वी ने नामांकन भरने के बाद फिर जनता को अपनी तरफ मोड़ने के लिए तमाम चुनावी वादे दोहराये और कहा, “हर परिवार में नौकरी, पढ़ाई, दवाई, कमाई, सिंचाई और सुनवाई – यही हमारा संकल्प है। बिहार को अपराध और भ्रष्टाचार से मुक्त करना हमारा लक्ष्य है।”
चुनाव आयोग पर सवाल, वोटर लिस्ट में बदलाव पर नाराजगी
तेजस्वी यादव ने राघोपुर समेत बिहार के अन्य हिस्सों में मतदाता सूची से लाखों नाम हटाए जाने पर नाराजगी जताई। उन्होंने इसे भाजपा की साजिश बताते हुए कहा, “यादव, मुस्लिम और दलित वोटरों को निशाना बनाया गया है। लेकिन जनता सब जानती है, सच्चाई के साथ खड़ी है।”
क्या कहते हैं जानकार?
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो राघोपुर सीट पर तेजस्वी यादव की स्थिति मजबूत है, लेकिन चुनाव आयोग की कार्रवाई, जातीय समीकरण और विकास के अधूरे वादे चुनौती बन सकते हैं। दूसरी ओर तेजस्वी का चेहरा युवाओं में लोकप्रियता और महागठबंधन की एकजुटता उन्हें बढ़त दिला सकती है।
राघोपुर में इस बार सिर्फ एक सीट नहीं, एक राजनीतिक विरासत, एक नई पीढ़ी का नेतृत्व और विकास बनाम वादों का इम्तिहान दांव पर है। तेजस्वी यादव की उम्मीदवारी ने इस चुनाव को और भी रोमांचक बना दिया है। अब देखना है कि जनता तीसरी बार भी तेजस्वी पर भरोसा जताती है या विरोधी लहर अपना असर दिखाती है।