पटना: जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर इस बार बिहार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। उन्होंने बुधवार को यह घोषणा की। ये चुनाव 6 और 11 नवंबर को दो चरणों में होने जा रहे हैं। प्रशांत किशोर ने मीडिया को अपने फैसले का कारण बताते हुए कहा कि पार्टी के सदस्यों ने यह तय किया है कि मुझे पार्टी के अन्य प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित करने के लिए काम करना चाहिए, इसलिए मुझे चुनाव नहीं लड़ना चाहिए। यह निर्णय किसी राजनीतिक रणनीति के तहत नहीं, बल्कि जनहित को ध्यान में रखकर लिया गया है। हमारा लक्ष्य 150 सीटें जीतना है। हम इससे कम को अपनी हार मानेंगे।
मालूम हो कि जन सुराज पार्टी अब तक अपने प्रत्याशियों की दो सूचियां जारी कर चुकी हैं। पहली सूची में 51 और दूसरी में 66 नाम घोषित किये गये गये हैं। इन दोनों सूचियों में प्रशांत का नाम नहीं देख अटकलों का बाजार गर्म था और लोग एक दूसरे से पूछ रहे थे कि मामला क्या है। हालांकि अब इन अटकलों पर विराम लग गया है लेकिन नये तरह की चर्चा चल निकली है कि वे अपने हार के डर से चुनाव से बच निकले हैं। उन्हें डर है कि यदि वे खुद चुनाव मैदान में मात खा गये तो उनकी बनी नयी नयी पार्टी में अपनी ही साख खतरे में न पड़ जाये।
मालूम हो कि प्रशांत किशोर चुनावी रणनीतिकार रहे हैं। उन्होंने देश की कई बड़ी राजनीतिक पार्टियों और नेताओं के लिए चुनावी रणनीति तैयार की है। ऐसे में उनका यह कदम सोझी समझी रणनीति का ही हिस्सा माना जाना चाहिए।
यूं भी बिहार के चुनाव को लेकर कांग्रेस और भाजपा दोनों के सर्वे में यह दावा किया गया है कि इस पर दोनों प्रमुख गठबंधनों में कांटे की टक्कर है और इन दोनों के बीच प्रशांत की पार्टी भूमिका वोटकटवा की रहेगी। प्रशांत किशोर ने सबसे पहले यह मीडिया में बयान दिया था कि वे राघोपुर विधानसभा सीट से तेजस्वी यादव के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे, फिर उन्हें जल्द समझ में आ गया कि यह कदम आत्मघाती साबित होगा। मौजूदा समय में तेजस्वी को हराना नाममुकिन है यह राजनीति का ककहरा जानने वाला भी समझ सकता है। इस रणनीतिज्ञ ने एक दिन पहले राघोपुर सीट से चंचल सिंह को प्रत्याशी घोषित कर अपनी गलती सुधार ली और भविष्य में अपनी फजीहत होेने से खुद को बचा लिया।
राघोपुर का नाम लेने के बाद प्रशांत ने पहले लक्षित सीट का नाम बदलकर करगहर विधानसभा सीट की ओर इशारा किया था जो उनका जन्मस्थान से जुड़ा क्षेत्र है। लेकिन वहां से उन्होंने भोजपुरी गायक रितेश पांडेय को प्रत्याशी बना दिया। दरअसल उनका चुनाव लड़ने की बात हवा हवाई ही रही है। जब तब वे कहते रहे हैं कि वे नीतीश कुमार के खिलाफ चुनाव लड़ना चाहते हैं, जबकि नीतीश ने बीस सालों में कभी विधानसभा चुनाव मैदान में नहीं उतरे हैं।