बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं राजनीतिक बयानबाजी तेज होती जा रही है। इसी बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को एक इंटरव्यू में बड़ा दावा किया कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) इस बार दो-तिहाई बहुमत से अधिक सीटें जीतकर सरकार बनाएगा। शाह ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री पद को लेकर कोई भ्रम नहीं है और नीतीश कुमार ही एनडीए के नेता और मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हैं।
बिहार में ‘एनडीए लहर’, सीटों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी होगी
“इस बार हम दो-तिहाई बहुमत से ज्यादा सीटें जीतकर बिहार में सरकार बनाएंगे। बिहार की जनता एनडीए के साथ है। इस चुनाव में हमारे सीटों के मार्जिन में अप्रत्याशित बढ़ोतरी देखने को मिलेगी।”न्यूज़18 चैनल से बातचीत में अमित शाह ने यह बातें कहीं। शाह ने कहा कि केंद्र और राज्य की ‘डबल इंजन सरकार’ ने बिहार के विकास की गति को नई दिशा दी है जिसका असर जनता के वोट में दिखाई देगा।
‘नीतीश ही मुख्यमंत्री हैं, कोई भ्रम नहीं’
कुछ दिनों पहले एक बयान को लेकर उठे राजनीतिक विवाद पर अमित शाह ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा, “हम नीतीश जी के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ रहे हैं। कोई भ्रम की स्थिति नहीं है। मैंने पहले भी कहा था और आज फिर कह रहा हूं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही होंगे।” दरअसल, हाल ही में दिल्ली के एक चैनल के कार्यक्रम में शाह ने कहा था कि “विधायक दल तय करेगा कि मुख्यमंत्री कौन होगा।” उस बयान के बाद एनडीए में सियासी चर्चा शुरू हो गई थी। विपक्ष ने इसे नीतीश कुमार की स्थिति कमजोर बताने की कोशिश की थी। बुधवार को शाह ने यह बयान देकर उस भ्रम को दूर किया।
नीतीश की सेहत पर उठे सवालों का जवाब
विपक्ष की ओर से नीतीश कुमार की सेहत को लेकर उठाए जा रहे सवालों पर अमित शाह ने पलटवार किया। उन्होंने कहा, “नीतीश जी रोज चार-चार सभाएं कर रहे हैं। जनता के बीच जा रहे हैं। उनकी सेहत को लेकर भ्रांति फैलाना विपक्ष की राजनीति का हिस्सा है। लालू यादव और राबड़ी देवी इसे मुद्दा बनाकर निकलना चाहते हैं लेकिन जनता सब जानती है।”
विपक्ष पर हमला — “आपके बेटों के लिए जगह खाली नहीं”
अमित शाह ने विपक्षी महागठबंधन पर भी तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा,“लालू जी चाहते हैं कि उनका बेटा सीएम बने और सोनिया जी चाहती हैं कि उनका बेटा प्रधानमंत्री बने। मैं दोनों से कहना चाहता हूं — बिहार और दिल्ली में कहीं भी जगह खाली नहीं है।” शाह ने इस बयान के जरिए वंशवाद की राजनीति पर निशाना साधते हुए कहा कि देश और बिहार अब ‘परिवारवाद नहीं, प्रदर्शन’ पर वोट देता है।
डबल इंजन सरकार की उपलब्धियों का बखान
शाह ने बिहार में एनडीए के शासनकाल की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा कि पिछले 11 वर्षों में राज्य में बड़ा परिवर्तन आया है। उन्होंने बताया कि 8 करोड़ 52 लाख लोगों को केंद्र सरकार की योजनाओं के तहत पांच किलो मुफ्त अनाज मिला, 6.6 करोड़ जन धन खाते खोले गए और शासन, बुनियादी ढांचे व कल्याणकारी योजनाओं में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। शाह ने कहा, “डबल इंजन सरकार की नीतियों से बिहार ने नई दिशा पाई है। अब हर तबके तक विकास पहुंचा है।”
शाह का बयान — रणनीति या भरोसे का प्रदर्शन?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अमित शाह का यह बयान चुनावी रणनीति का हिस्सा भी है और एनडीए के भीतर एकता का संदेश भी। बीते महीनों में नीतीश कुमार के बार-बार दल बदलने और विपक्ष के आरोपों के बीच एनडीए यह दिखाना चाहता है कि अब गठबंधन “स्थिर” है और केंद्र-राज्य दोनों में तालमेल है। विशेषज्ञों के अनुसार, शाह का दो-तिहाई बहुमत वाला दावा कार्यकर्ताओं में जोश बढ़ाने और विपक्षी महागठबंधन को रक्षात्मक मुद्रा में लाने की कोशिश भी है। हालांकि बिहार में जातीय समीकरण और स्थानीय मुद्दे हमेशा से चुनाव परिणामों में निर्णायक रहे हैं इसलिए एनडीए का यह आत्मविश्वास कितना सही साबित होगा, यह समय बताएगा।
अमित शाह का ताजा बयान बिहार की राजनीति में दो संदेश देता है। पहला, एनडीए में नीतीश कुमार को लेकर कोई असमंजस नहीं है और दूसरा, एनडीए अपनी चुनावी लड़ाई विकास बनाम वंशवाद के नैरेटिव पर लड़ना चाहता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि शाह का यह आत्मविश्वास जमीनी हकीकत में कितनी मजबूती से उतरता है और बिहार की जनता किस पर भरोसा जताती है।