पटना। बिहार विधानसभा चुनावों की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। पहले चरण का मतदान 6 नवंबर को होना है और इसी बीच राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) शुक्रवार 31 अक्टूबर को पटना में अपना संयुक्त चुनाव घोषणापत्र जारी करने जा रहा है। यह घोषणापत्र न सिर्फ चुनावी वादों का दस्तावेज होगा बल्कि गठबंधन की “डबल इंजन सरकार” की परिकल्पना को आगे बढ़ाने का एक राजनीतिक संदेश भी देगा।
कौन करेगा ऐलान?
सूत्रों के मुताबिक इस घोषणापत्र का विमोचन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अगुवाई में होगा। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और गठबंधन सहयोगी दलों -जदयू, लोजपा (रामविलास), हम (सेक्युलर) और राष्ट्रीय लोक मोर्चा के शीर्ष नेता शामिल रहेंगे।
किस पर रहेगा जोर?
एनडीए के घोषणापत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, कृषि और बुनियादी ढांचे के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर जोर दिए जाने की संभावना है जिसमें गठबंधन के "डबल-इंजन विकास" के सिद्धांत को दोहराया जाएगा जो राज्य और केंद्र सरकारों के बीच शासन के तालमेल का संदर्भ है।
पार्टी के अंदरूनी सूत्र इस दस्तावेज को बिहार के विकास के लिए एक व्यापक रोडमैप बताते हैं जिसमें रोजगार सृजन, ग्रामीण संपर्क और कल्याणकारी योजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है। यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब राजद के तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले विपक्षी महागठबंधन ने पहले ही अपना घोषणापत्र, "बिहार का तेजस्वी प्रण" जारी कर दिया है जिसमें युवाओं के रोजगार और सामाजिक कल्याण के लिए वैकल्पिक प्राथमिकताओं को रेखांकित किया गया है।
महागठबंधन ने क्या वादे किये हैं ?
विपक्षी महागठबंधन ने पहले ही अपना घोषणापत्र “बिहार का तेजस्वी प्रण” जारी कर दिया है जिसमें युवाओं के लिए 10 लाख नौकरियां, पुरानी पेंशन योजना (OPS) की बहाली, 200 यूनिट मुफ्त बिजली, किसानों को एमएसपी की गारंटी और 25 लाख रुपये तक मुफ्त स्वास्थ्य बीमा जैसी जनकल्याणकारी घोषणाएं की गई हैं।
राजनीतिक संदेश क्या है?
एनडीए का घोषणापत्र इस समय इसलिए भी अहम है क्योंकि इसे ऐसे दौर में जारी किया जा रहा है जब विपक्ष रोजगार और सामाजिक न्याय के मुद्दे पर लगातार हमलावर है।
भाजपा और जदयू नेतृत्व इसे “विकास बनाम वादों की राजनीति” के रूप में पेश करने की कोशिश करेंगे। एनडीए का फोकस संभवतः स्थिरता, शासन और केंद्र–राज्य तालमेल पर रहेगा जबकि विपक्ष युवाओं और किसानों को सीधे संबोधित कर रहा है।
क्यों अहम है यह घोषणापत्र ?
चुनाव से ठीक पहले जारी यह दस्तावेज न सिर्फ एनडीए की राजनीतिक दिशा स्पष्ट करेगा बल्कि यह बताएगा कि गठबंधन जनता के मुद्दों को किस तरह प्राथमिकता देता है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह घोषणापत्र “विकास बनाम कल्याण” की दो राजनीतिक विचारधाराओं के बीच सीधे मुकाबले का प्रतीक होगा। एनडीए और महागठबंधन दोनों ही इस बार मतदाताओं को “आर्थिक सुरक्षा” और “सामाजिक सम्मान” के वादों से लुभाने की कोशिश कर रहे हैं जहां महागठबंधन “रोजगार और कल्याण” की बात कर रहा है वहीं एनडीए “विकास और स्थिर शासन” की। बिहार की जनता किस पर भरोसा जताती है इसका जवाब आने वाले हफ्ते में सामने होगा।