पटना | बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए ने अपने चुनावी घोषणापत्र के जरिए बड़ा दांव खेला है। शुक्रवार को पटना के मौर्या होटल में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, हिंदुस्तान अवाम मोर्चा के जीतन राम मांझी, लोजपा (रामविलास) के चिराग पासवान और अन्य सहयोगी दलों के नेताओं की मौजूदगी में एनडीए ने अपना “संकल्प पत्र” जारी किया।
इस बार घोषणापत्र में रोजगार, महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता और किसानों की सुरक्षा को केंद्र में रखा गया है।
मुख्य वादेः युवाओं से लेकर किसानों तक फोकस
एक करोड़ नौकरियों का ऐलान
एनडीए ने बिहार में 1 करोड़ सरकारी नौकरियों और रोजगार के अवसर देने का वादा किया है। हर जिले में मेगा स्किल सेंटर स्थापित किए जाएंगे ताकि युवाओं को वैश्विक स्तर पर रोजगार के लिए तैयार किया जा सके। प्रशिक्षण के बाद बिहार के युवाओं को विदेशों में भी रोजगार के अवसर दिलाने का प्रावधान किया जाएगा।
महिलाओं के लिए ‘मिशन करोड़पति’ और ‘लखपति दीदी’
एनडीए ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ₹2 लाख तक की वित्तीय सहायता देने की घोषणा की है। इसके साथ ही एक करोड़ महिलाओं को “लखपति दीदी” बनाने और नई योजना “मिशन करोड़पति” शुरू करने की बात कही गई है जिसका लक्ष्य है कि बिहार की महिलाएं करोड़पति उद्यमी बनें।
अति पिछड़ा वर्ग (EBC) के लिए विशेष सहायता
एनडीए ने अत्यंत पिछड़े वर्गों के लिए ₹10 लाख तक की आर्थिक सहायता और उनके कल्याण के लिए एक समर्पित समिति बनाने की घोषणा की है। यह कदम सामाजिक न्याय और समावेशी विकास की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
किसानों के लिए MSP की कानूनी गारंटी
घोषणापत्र में किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी देने का वादा किया गया है। साथ ही, “कर्पूरी ठाकुर किसान सम्मान निधि” के तहत किसानों को सालाना ₹9,000 का लाभ मिलेगा (₹6,000 केंद्र से, ₹3,000 राज्य से)।
एनडीए का विजन — ‘विकसित बिहार, आत्मनिर्भर बिहार’
घोषणापत्र में सिर्फ वादे नहीं बल्कि बिहार को “वैश्विक स्किल हब” बनाने की रूपरेखा भी रखी गई है। राज्य सरकार ने कहा है कि यह सिर्फ चुनावी घोषणा नहीं है। यह उनके “पिछले 20 वर्षों के काम का विस्तार” है। नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार में शिक्षा और रोजगार की दिशा में अब तक हुए कार्यों को और मजबूत किया जाएगा।
विकास बनाम भरोसे की लड़ाई
बिहार में इस बार चुनावी मुकाबला दो मुद्दों पर सिमटता दिख रहा है — “रोजगार” और “विश्वास”। जहां महागठबंधन बदलाव की बात कर रहा है, वहीं एनडीए अपने विकास मॉडल पर भरोसा मांग रहा है। “KG से PG तक मुफ्त शिक्षा”, “1 करोड़ नौकरियां” और “महिलाओं को आर्थिक सशक्तिकरण” जैसे वादे बिहार की सामाजिक संरचना को सीधे प्रभावित कर सकते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह घोषणापत्र बिहार की जनसंख्या के तीन बड़े समूहों- युवा, महिला और किसान को साधने का प्रयास है।
चुनावी सियासत गरमाई — राहुल गांधी के खिलाफ EC से शिकायत
इसी बीच, भाजपा ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ आचार संहिता उल्लंघन की शिकायत चुनाव आयोग में दर्ज कराई है। आरोप है कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनावी रैली में “अपमानजनक और व्यक्तिगत टिप्पणी” की। भाजपा ने मांग की है कि आयोग राहुल गांधी को कारण बताओ नोटिस जारी करे और सार्वजनिक रूप से माफी मांगने का निर्देश दे।
मतदान और नतीजे
बिहार विधानसभा की 243 सीटों पर मतदान दो चरणों में होगा — 6 और 11 नवंबर को। नतीजे 14 नवंबर 2025 को घोषित किए जाएंगे।
वादों की राजनीति या विजन का विस्तार?
एनडीए का संकल्प पत्र बिहार के पारंपरिक चुनावी मुद्दों से हटकर “आर्थिक सशक्तिकरण और कौशल विकास” की दिशा में एक नया विमर्श प्रस्तुत करता है। अब सवाल यह है कि जनता इन वादों को कितना वास्तविक मानती है। क्या बिहार का मतदाता नीतीश कुमार के “विकास के भरोसे” पर मुहर लगाएगा या महागठबंधन के “परिवर्तन के वादे” पर विश्वास करेगा- इसका जवाब 14 नवंबर को आने वाला है।