तिरुवनंतपुरम : कांग्रेस नेता और तिरुवनंतपुरम सांसद शशि थरूर ने शुक्रवार को कहा कि उन्हें बिहार चुनाव अभियान में शामिल नहीं किया गया था लेकिन कांग्रेस को अपनी हार के कारणों की गहन समीक्षा करनी चाहिए।
बिहार चुनाव के नतीजों के बाद पत्रकारों से बात करते हुए थरूर ने कहा कि पार्टी की जिम्मेदारी है कि वह इस असफलता के कारणों का विस्तृत अध्ययन करे। राजद को भी अपने प्रदर्शन पर सावधानीपूर्वक ध्यान देना होगा। बिहार जैसे जनादेश में पार्टी के समग्र प्रदर्शन की समीक्षा करना महत्वपूर्ण है। चुनाव कई कारकों पर निर्भर करते हैं। इसमें निश्चित रूप से जनता की भावना शामिल है। संगठन की ताकत और कमजोरियों के सवाल हैं। संदेश देने के तरीके पर भी विचार करना आवश्यक है। ये सभी मुद्दे हैं जिन्हें देखना होगा।
थरूर ने कहा कि मैं वहां मौजूद नहीं था और मुझे बिहार चुनाव अभियान में आमंत्रित भी नहीं किया गया था इसलिए मैं व्यक्तिगत अनुभव से ज्यादा कुछ नहीं कह सकता। जो लोग वहां थे, वे निश्चित रूप से नतीजों का अध्ययन करेंगे।
इस बीच, थरूर को पार्टी में वंशवाद की राजनीति के खिलाफ उनके हालिया लेख के लिए वरिष्ठ कांग्रेस नेता एमएम हसन से तीखी आलोचना झेलनी पड़ी। एक अन्य अवसर पर, वरिष्ठ कांग्रेस नेता हसन ने थरूर की आलोचना करते हुए कहा कि सांसद ने राजनीति में प्रवेश नेहरू परिवार के समर्थन से किया और अपनी सभी पदस्थापना और लोकप्रियता भी उन्हीं के कारण प्राप्त की। थरूर नेहरू परिवार की आलोचना कर सकते हैं लेकिन कांग्रेस वर्किंग कमिटी के सदस्य के रूप में ऐसा नहीं करना चाहिए। हसन ने थरूर पर आरोप लगाया कि उन्होंने वही 'परिवार की राजनीति' का तर्क इस्तेमाल किया, जिसे भाजपा राहुल गांधी पर निशाना साधने के लिए करती है। ऐसा करने से पहले उन्हें सम्मानपूर्वक कांग्रेस वर्किंग कमिटी से अलग हो जाना चाहिए।
मालूम हो कि थरूर ने हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठन प्रोजेक्ट सिंडिकेट के लिए एक लेख में कहा कि राजनीतिक दलों में वंशवाद पर आधारित भारतीय लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा है।