क्या आज दसवीं बार नीतीश बनेंगे मुख्यमंत्री या तेजस्वी की शुरू होगी नई पारी?

सीएम की गद्दी फिर नीतीश कुमार के हाथ लगेगी या 'भतीजा' तेजस्वी यादव उसे छीन लेगा? या ‘नॉन-प्लेइंग कैप्टन’ प्रशांत किशोर आखिर में मुस्कुराएँगे? यह सब आज कुछ ही देर में साफ हो जाएगा।

By अन्वेषा बंद्योपाध्याय, Posted by डॉ.अभिज्ञात

Nov 14, 2025 07:49 IST

पटना: बिहार में आज 'हार किसकी?’- यह सबसे बड़ा सवाल है। एनडीए एग्ज़िट पोल से उत्साहित है और खुद को जीत के करीब मान रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि भाजपा-नीत गठबंधन के पक्ष में तीन फैक्टर निर्णायक साबित हो सकते हैं-जाति-सामाजिक समीकरण, महिलाओं के लिए विकास कार्यक्रम जैसे 1.5 करोड़ महिलाओं को मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत व्यवसाय शुरू करने के लिए 10,000 रुपये की पहली किस्त और नीतीश कुमार फैक्टर। अगर ये सभी फैक्टर काम कर गए तो नीतीश कुमार दसवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।

दूसरी ओर है आरजेडी के नेतृत्व वाला सात दलों का महागठबंधन जिसकी चुनावी मुहिम का केंद्र था- परिवर्तन और रोजगार। तेजस्वी यादव युवा व ऊर्जावान हैं और उन्होंने नेतृत्व क्षमता दिखाई है। इसलिए गठबंधन ने उन्हें ही मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाया। लेकिन जातीय समीकरण भी बड़ा तत्व है-आरजेडी ने मुस्लिम-यादव आधार के अलावा ओबीसी/ईबीसी वर्ग में कितनी पैठ बनाई? हर घर एक नौकरी का वादा युवाओं को कितना भरोसेमंद लगा? महिलाएँ तेजस्वी को कितना विश्वास देती हैं? इन सब पर निर्भर करेगा कि मगध की सत्ता किसके पास जाती है।

विश्लेषक एक बात पर सहमत हैं-महागठबंधन की सबसे कमजोर कड़ी कांग्रेस ही है। राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ को अच्छी प्रतिक्रिया मिली, लेकिन जानकारों का मानना है कि उसका असर वोटों में सीमित रहेगा। इसके अलावा है इस चुनाव की नई पार्टी जन सुराज पार्टी-प्रशांत किशोर की पार्टी। क्या वे वोट काटकर ‘किंगमेकर’ बनेंगे, या ‘किंग’ या एग्ज़िट पोल सही साबित होगा और उनका प्रदर्शन खराब रहेगा? आज इसका भी जवाब मिलने लगा है।

इस बार बिहार में रिकॉर्ड मतदान हुआ। इतने अधिक लोगों ने पहले कभी मतदान नहीं किया। आमतौर पर उच्च मतदान को एंटी-इंकम्बेंसी माना जाता है, लेकिन इसके अपवाद भी हैं। कुछ लोग यह भी पूछ रहे हैं कि क्या यह भारी मतदान हाल में SIR के नाम पर लोगों के वोट अधिकार छीनने के विरोध का परिणाम है? चुनाव आयोग के आँकड़े- प्रथम चरण: 65.08%। द्वितीय चरण: 68.76%। कुल: 66.91%। यह पिछली बार से 9.62% अधिक है। परंपरा बरकरार रखते हुए इस बार भी महिलाओं ने पुरुषों से ज्यादा मतदान किया, लगभग 71.6%।

पहले दो विधानसभा चुनावों में महिलाओं की भागीदारी थी-2020 में 59.69% और 2015 में 60.48%। कुछ विश्लेषकों के अनुसार, महिलाओं के अधिक मतदान का लाभ एनडीए को मिल सकता है। प्रशांत किशोर मानते हैं कि अधिक मतदान का मतलब है-14 नवंबर को बिहार में नई सरकार बनेगी और इस बार प्रवासी मजदूर ‘X फैक्टर’ हैं। तेजस्वी ने कहा कितनी बड़ी संख्या में वोट करने के लिए मैं बिहार की जनता का धन्यवाद करता हूँ। मुझे विश्वास है कि आपने महागठबंधन की जीत सुनिश्चित कर दी है। यहाँ तक कि उन्होंने बुधवार को कहा कि वह 18 नवंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।

इधर गृह मंत्री अमित शाह का दावा है कि एनडीए 160 से अधिक सीटें जीतेगा। उनकी बात पर भरोसा करके भाजपा नेता जश्न की तैयारी में जुट गये हैं। तोरण, फूल, आतिशबाजी और गेंदा फूल के ऑर्डर में जुट गए हैं। बिहार के चुनावी मुद्दे बेहद अहम हैं। कोई भी सरकार आए, इन मुद्दों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, ये मुद्दे हैं-बेरोज़गारी, कानून-व्यवस्था, बड़े पैमाने पर पलायन, गुंडाराज, भ्रष्टाचार, महिला सुरक्षा। इसके अलावा राहुल गांधी ने सबूत के साथ चुनाव चोरी के आरोप लगाए हैं। उसका असर कितना पड़ा, यह भी आज स्पष्ट होगा।

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