जदयू-भाजपा दोनों को बराबर सीटें, फिर भी एनडीए में भाजपा ही बिहार चुनाव की कमान संभालेगी!

चिराग का किरदार भी अहम होगा। चिराग की युवा अपील और मोदी की छवि से पासवान समुदाय NDA की ओर मोड़ा गया।

By Shweta Singh

Oct 14, 2025 01:50 IST

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा होने के बाद सियासी उठापटक तेज हो गई है। महागठबंधन में तो नहीं लेकिन एनडीए गठबंधन में सीटों का बंटवारा हो गया है। भाजपा को 101, जदयू को 101, एलजेपी-आर को 29, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा को 6 और आरएलएसपी को 6 सीटें दी गई हैं। तमाम राजनीतिक विरोधों के बाद भी आखिरकार चिराग पासवान बाकी दलों के मुकाबले अधिक सीटें हासिल करने में कामयाब हो ही गये।

पीएम मोदी को क्यों है चिराग पासवान पर भरोसा

चिराग ने हमेशा मोदी को अपना “नेता” बताया और कहा, “पीएम मोदी के रहते किसी दूसरे गठबंधन का सवाल ही नहीं उठता.” 2020 में भी उन्होंने कहा कि वे अमित शाह से मिले थे और बिहार में “बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट” एजेंडे पर काम करने के लिए अलग चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन भाजपा के प्रति वफादार रहे।

चिराग की युवा छवि को भुनाने की कोशिश

लोक जनशक्ति पार्टी का मुख्य वोट बैंक पासवान समुदाय (लगभग 6% आबादी) है जो पूर्वी बिहार में मजबूत है। चिराग की युवा अपील और मोदी की छवि से यह वोट NDA की ओर मोड़ा गया। 2020 के बाद चिराग को केंद्रीय मंत्री बनाया गया, जो भरोसे का प्रमाण था। हाल के बयानों में भी चिराग ने कहा, “पीएम मोदी ने बिहार के युवाओं पर भरोसा दिखाया है, जो इस चुनाव में उनकी ताकत बनेंगे।” इस बार कई ऐसी सीटों पर चिराग अपने उम्मीदवार उतारेंगे जिन पर पहले जदयू चुनाव लड़ा करती थी।

एनडीए में सीट शेयरिंग का ये है गणित

बिहार चुनाव में भाजपा और चिराग पासवान एक तरफ हैं तो जदयू, मांझी और कुशवाहा दूसरी तरफ। भाजपा को 101 सीटें मिली हैं और चिराग को 29 सीटें। कुल मिलाकर दोनों 130 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे।

वहीं जदयू 101, जीतन राम मांझी 6 और उपेंद्र कुशवाहा 6 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं जो कि कुल 113 होता है। अगर ये तीनों पार्टियां सारी सीटें भी जीत जाती हैं तो भी इन्हें सरकार बनाने के लिए भाजपा या चिराग की जरूरत पड़ेगी।

हालांकि भाजपा और चिराग मिलकर यदि सात सीटें गंवाकर भी बहुमत के आंकड़े 123 तक पहुंच जाते हैं तो सरकार बनाने के लिए उन्हें जदयू, मांझी और कुशवाहा की जरूरत नहीं पड़ेगी। ऐसे में सरकार में बने रहना उनकी मजबूरी होगी ना की जरूरत।

सूत्रों के अनुसार, भाजपा 107 और जदयू 105 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती थी लेकिन उन्होंने अपने घटक दलों को साधकर दिखाया। एलजेपी (आर) काफी ज्यादा सीटों की मांग कर रही थी लेकिन भाजपा ने 29 सीट देकर उसे भी संतुष्ट करा दिया."

चिराग पासवान को बहुत मुश्किल के बाद ये मौका मिला है। चिराग पासवान अपने जीवन में पहली बार भाजपा और नीतीश कुमार वाले गठबंधन के साथ चुनाव लड़ेंगे। वे भाजपा-नीतीश के साथ लोकसभा का चुनाव तो लड़ चुके हैं। विधानसभा में अभी चिराग की पार्टी का कोई विधायक नहीं है। इसलिए उनके पास जीरो से हीरो बनने का मौका है।

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