जन सुराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर का दावा है कि उनकी पार्टी के उम्मीदवारों को नामांकन वापस लेने के लिए मजबूर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अब तक उनके तीन उम्मीदवारों को पार्टी का नामांकन वापस लेने के लिए मजबूर किया गया है। उन्होंने आरोप बीजेपी पर लगाया। पूर्व चुनाव रणनीतिकार और जन सुराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर ने मंगलवार को आरोप लगाया कि इन तीनों को बीजेपी के 'धमकी' के कारण नामांकन वापस लेना पड़ा।
जन सुरज पार्टी के प्रमुख का दावा है कि इस साल के बिहार विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी से भाजपा और NDA गठबंधन को चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। इससे भाजपा डर गई है। यही कारण है कि उनकी पार्टी के उम्मीदवारों का अपहरण किया जा रहा है और उन्हें मुकाबले से हटने के लिए डराया जा रहा है। पीके ने बताया कि वे चुनाव आयोग के पास भी इस मामले की औपचारिक शिकायत करेंगे। प्रशांत किशोर ने कहा, 'पिछले कुछ वर्षों में भाजपा ने ऐसी छवि बनाई है कि चुनाव में कोई भी विजयी हो, वही सरकार बनाएगा। हमें 'वोट-कटर' कहा गया था। जिस पार्टी ने कहा कि हमारी कोई पहचान नहीं है, अब उनकी हालत देखिए। बिहार में जैसे ही मतदान प्रक्रिया शुरू हुई, NDA गठबंधन डर के साये में आ गई है।'
पीके का दावा है कि महागठबंधन को लेकर बीजेपी बिल्कुल चिंतित नहीं है। क्योंकि बिहारी लोग समझ चुके हैं कि लालू प्रसाद यादव जब सत्ता में वापसी करेंगे तो बिहार में फिर से 'जंगल राज' शुरू होगा। इसलिए वे बदलाव चाहते हैं। पीक के अनुसार, वे जन सुराज पार्टी को विकल्प के रूप में चुनना चाहते हैं। इसके डर से बीजेपी ने अपने पार्टी उम्मीदवारों पर दबाव डालने के खेल में लग गई है।उल्लेखनीय है कि अब तक जन सुराज पार्टी के तीन उम्मीदवारों ने अपने नामांकन वापस ले लिए हैं। ये तीनों उम्मीदवार हैं- दानापुर से मुतुर शाह, ब्रह्मपुर से सत्य प्रकाश तिवारी और गोपालगंज से शशि शेखर सिन्हा। पीक का दावा है कि इसके बाद पटना साहिब सीट के जन सुराज पार्टी के उम्मीदवार और गणितज्ञ के.सी. सिन्हा पर भी नामांकन वापस लेने के लिए दबाव डाला जा रहा है।