दरौली विधायक सत्यदेव राम नामांकन के बाद गिरफ्तार, 20 साल पुराने मामले में सिवान पुलिस का एक्शन

विपक्ष ने भाजपा-जदयू सरकार पर बदले की राजनीति का आरोप लगाया है।

By कौशिक भट्टाचार्य, Posted by: श्वेता सिंह

Oct 15, 2025 08:38 IST

नामांकन दाखिल किया ही था कि अचानक पुलिस ने उन्हें घेर लिया। इससे पहले कि वे कुछ समझ पाते दरौली से भाकपा(माले) विधायक सत्यदेव राम को गिरफ्तार कर लिया गया। वह भी 20 साल पुराने एक मामले में। बिहार के सीवान में मंगलवार को हुई इस घटना से हड़कंप मच गया। विपक्ष ने भाजपा-जदयू सरकार पर बदले की राजनीति का आरोप लगाया है।

विधायक सत्यदेव पर आरोप

सत्यदेव राम के नेतृत्व में 2005 में स्थानीय निवासियों ने दरौंदा स्टेशन पर 'रेल रोको' आंदोलन चलाया था। इसके तुरंत बाद उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। इतने सालों बाद मंगलवार को उस मामले में सोनपुर रेलवे कोर्ट की एसीजेएम कोर्ट ने वारंट जारी किया।

सत्यदेव ने दावा किया कि उन्हें वारंट के बारे में कुछ नहीं पता था। उस दिन नामांकन दाखिल करने के बाद जैसे ही वे डीएम कार्यालय से बाहर निकले पुलिस ने उन्हें घेर लिया। सत्यदेव के साथ उनके कार्यकर्ता और समर्थक भी थे। वे कुछ समझ पाते उससे पहले ही सत्यदेव को गिरफ्तार कर लिया गया।

गिरफ्तारी के बाद सत्यदेव ने पत्रकारों से कहा, "मुझे इस मामले के बारे में कुछ नहीं पता था। पुलिस ने भी कुछ नहीं कहा। मैं चुनाव आयोग के निर्देशानुसार नामांकन दाखिल करने आया था। जैसे ही मैं निकला, पुलिस ने मुझे गिरफ्तार कर लिया।"

पुलिस ने क्या कहा?

सीवान के पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार तिवारी ने कहा, "अदालत ने वारंट जारी किया था। हमने उस वारंट की सत्यता की पुष्टि करने के बाद कार्रवाई की। विधायक को कानूनी प्रक्रिया के अनुसार अदालत में पेश किया जाएगा।"

भाकपा(माले) बिहार में महागठबंधन का हिस्सा है। वे राजद और कांग्रेस के साथ मिलकर बिहार विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। विपक्षी गठबंधन में सीटों का बंटवारा अभी तय नहीं हुआ है। हालांकि गठबंधन के छोटे सहयोगी दल अपने-अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर रहे हैं। सत्यदेव पिछले चुनाव में दरौली विधानसभा क्षेत्र से जीते थे। इस बार भी भाकपा(माले) ने उन्हें मैदान में उतारा है लेकिन आज अचानक उनकी गिरफ्तारी से विपक्षी गठबंधन स्तब्ध है।

नामांकन दाखिल करते समय विधायक की गिरफ्तारी को लेकर खूब चर्चा हो रही है। विपक्ष इस पूरे मामले को राजनीतिक साजिश के तौर पर देख रहा है। उनका दावा है कि भाजपा-जदयू सरकार ने चुनाव की घोषणा होते ही बदले की राजनीति शुरू कर दी है। हालांकि नीतीश सरकार का दावा है कि प्रशासन ने सिर्फ अदालत के आदेश के अनुसार काम किया है। गौरतलब है कि बिहार में 6 और 11 नवंबर को दो चरणों में मतदान होगा। नतीजे 14 नवंबर को घोषित किए जाएंगे।

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