बिहार विधानसभा चुनाव के बीच राष्ट्रीय जनता दल ने संगठन के भीतर अनुशासनहीनता और बगावत के मामलों पर बड़ा कदम उठाया है। पार्टी ने सोमवार को बागी रुख अपनाने वाले 27 नेताओं को छह वर्षों के लिए निष्कासित कर दिया है। इन नेताओं में प्रदेश महिला मोर्चा की अध्यक्ष रितु जायसवाल, दो विधायक, पांच पूर्व विधायक, विधान परिषद के पूर्व सदस्य और कई वरिष्ठ पदाधिकारी शामिल हैं।
राजद के इस एक्शन से चुनावी हलकों में हलचल मच गई है क्योंकि पार्टी के कई वरिष्ठ और सक्रिय नेता अब खुले तौर पर संगठन से बाहर हो गए हैं। पार्टी ने यह कदम उन नेताओं के खिलाफ उठाया है जो या तो निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में हैं या महागठबंधन के आधिकारिक प्रत्याशियों के खिलाफ काम कर रहे थे।
कौन-कौन हुए बाहर?
राजद के आधिकारिक बयान के मुताबिक, जिन नेताओं को निष्कासित किया गया है, उनमें प्रमुख नाम शामिल हैं:
रितु जायसवाल, अध्यक्ष, प्रदेश महिला मोर्चा
छोटे लाल राय, विधायक, परसा
राम प्रकाश महतो, पूर्व विधायक
अनिल सहनी, पूर्व एमएलए
सरोज यादव, पूर्व विधायक
गणेश भारती, पूर्व एमएलसी
मोहम्मद कामरान, विधायक
अनिल यादव, पूर्व एमएलए
अक्षय लाल यादव
राम सखा महतो
इनके अलावा जिन नेताओं को पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए निकाला गया है उनमें अविनाश कुमार, भगत यादव, मुकेश यादव, संजय राय, कुमार गौरव, राजीव कुशवाहा (दरभंगा), महेश प्रसाद गुप्ता, वकील प्रसाद यादव, पूनम देवी गुप्ता (मोतिहारी), सुबोध यादव, सुरेंद्र प्रसाद यादव (प्रदेश महासचिव), अनिल चंद्र कुशवाहा, नीरज राय, अजित यादव, मोती यादव, राम नरेश पासवान, और अशोक चौहान शामिल हैं।
क्यों हुई कार्रवाई?
पार्टी के प्रवक्ता के अनुसार, इन सभी नेताओं पर "पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने" का आरोप लगा था। कई नेता स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में उतर गए थे जबकि कुछ लोग गठबंधन के आधिकारिक उम्मीदवारों के खिलाफ सक्रिय रूप से प्रचार कर रहे थे। राजद नेतृत्व ने इसे "अनुशासनहीनता और पार्टी सिद्धांतों का उल्लंघन" बताया और संगठन की सख्त नीति के तहत इन पर छह साल की निष्कासन की सजा दी।
जेडीयू ने भी की थी बड़ी कार्रवाई
राजद से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) ने भी अपने बागी नेताओं पर बड़ी कार्रवाई की थी। जेडीयू ने 16 नेताओं को पार्टी से निष्कासित कर दिया था जिनमें विधायक गोपाल मंडल, कुछ पूर्व मंत्री और पूर्व विधायक शामिल थे। ऐसे में यह साफ है कि बिहार की दोनों प्रमुख पार्टियां राजद और जेडीयू चुनाव से पहले अपने संगठन को मजबूत करने और बगावती सुरों को दबाने में जुटी हैं।
राजद ने की सख्त कार्रवाई
राजद की इस कार्रवाई को संगठन में “अनुशासन और नियंत्रण” बनाए रखने की कवायद के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इतने बड़े पैमाने पर नेताओं के निष्कासन से पार्टी को कुछ सीटों पर नुकसान भी झेलना पड़ सकता है, खासकर उन जगहों पर जहां बागी नेता स्थानीय स्तर पर मजबूत पकड़ रखते हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव के बीच आरजेडी का यह कदम पार्टी के भीतर अनुशासन कायम करने और बागियों को संदेश देने की कोशिश है कि संगठन विरोधी रुख किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अब देखने वाली बात होगी कि निष्कासित नेता आगे क्या कदम उठाते हैं ? क्या वे निर्दलीय लड़ाई जारी रखेंगे या किसी अन्य दल में शामिल होकर नया समीकरण बनाएंगे।