बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है राजनीतिक दलों ने प्रचार अभियान में पूरी ताकत झोंक दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर राजद नेता तेजस्वी यादव तक सभी दल मैदान में उतर चुके हैं। इस बीच भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने चुनावी प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए कई सख्त कदम उठाए हैं।
विकास निधि से नई राशि जारी करने पर रोक
चुनाव आयोग ने स्पष्ट आदेश जारी किया है कि चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक सांसदों (MPs) और विधायकों (MLAs/MLCs) की विकास निधि से कोई नई राशि जारी नहीं की जाएगी। इस फैसले का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी जनप्रतिनिधि विकास योजनाओं या फंड का इस्तेमाल मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए न कर सके।
प्रत्याशी के चुनावी खर्च की अधिकतम सीमा ₹40 लाख
आयोग ने हर प्रत्याशी के चुनाव प्रचार खर्च पर सीमा तय कर दी है। अब कोई भी उम्मीदवार अपने प्रचार अभियान में 40 लाख रुपये से अधिक खर्च नहीं कर सकेगा। यह राशि रैलियों, पोस्टर-बैनर, विज्ञापन, प्रचार सामग्री, वाहन व्यय और जनसभाओं जैसे सभी खर्चों पर लागू होगी। साथ ही उम्मीदवारों को पर्चा भरने से लेकर परिणाम घोषित होने तक हुए हर खर्च का पूरा लेखा-जोखा निर्वाचन आयोग को देना होगा। यदि किसी प्रत्याशी के खर्च में अनियमितता या गड़बड़ी पाई जाती है तो आयोग ने कठोर कार्रवाई करने की चेतावनी दी है।
वीडियोग्राफी और निगरानी टीमें करेंगी खर्च पर नज़र
चुनाव आयोग ने खर्च की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए हर रैली, सभा और जनसभा की वीडियोग्राफी कराने का निर्देश दिया है। साथ ही, विशेष व्यय निगरानी टीमें (Expenditure Monitoring Teams) तैनात की गई हैं, जो उम्मीदवारों के प्रचार पर नज़र रखेंगी। इन कदमों से आयोग का उद्देश्य चुनाव प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी और निष्पक्ष बनाना है।
एआई और डीपफेक सामग्री पर कड़ी निगरानी
इस बार आयोग का सबसे बड़ा फोकस तकनीकी दुरुपयोग, खासकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और डीपफेक कंटेंट पर है।चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों को निर्देश दिया है कि वे AI-जनित या सिंथेटिक प्रचार सामग्री का उपयोग अत्यंत सावधानी से करें और उसकी सत्यता की जिम्मेदारी खुद लें।
आयोग के नए दिशा-निर्देश
यदि किसी आधिकारिक पार्टी हैंडल से AI-संशोधित ऑडियो, वीडियो या छवि पोस्ट की जाती है, तो उसे नोटिस या रिपोर्ट मिलने के तीन घंटे के भीतर हटाना अनिवार्य होगा। राजनीतिक दलों को ऐसी सभी सामग्रियों का रिकॉर्ड, निर्माता का नाम, स्रोत और टाइमस्टैम्प सुरक्षित रखना होगा। इन नियमों का उल्लंघन होने पर आयोग कड़ी कार्रवाई कर सकता है। आयोग ने कहा कि कृत्रिम रूप से तैयार की गई गलत जानकारी “सच का रूप धारण कर सकती है”, जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए गंभीर खतरा है।
संवैधानिक अधिकार के तहत कार्रवाई
चुनाव आयोग ने ये सभी दिशा-निर्देश संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत जारी किए हैं, जो आयोग को स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने की पूर्ण शक्ति प्रदान करता है। आयोग ने 6 और 11 नवंबर को होने वाले मतदान से पहले यह परामर्श सभी राजनीतिक दलों को भेजा है।
उद्देश्य: निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव
चुनाव आयोग का यह सख्त रुख इस बात का संकेत है कि 2025 का बिहार चुनाव पूरी तरह पारदर्शिता, तकनीकी जिम्मेदारी और जवाबदेही के साथ कराया जाएगा। इन नियमों से जहां मतदाताओं को गुमराह करने वाले भ्रामक प्रचार पर रोक लगेगी, वहीं यह भी सुनिश्चित होगा कि पैसे और तकनीक का दुरुपयोग चुनाव परिणामों को प्रभावित न करे। बिहार चुनाव 2025 में आयोग की सख्ती से यह साफ है कि आने वाले समय में चुनाव प्रचार की दिशा बदलने वाली है।अब दलों को न केवल खर्च और आचार संहिता का पालन करना होगा, बल्कि AI तकनीक के जिम्मेदार उपयोग की कसौटी पर भी खरा उतरना होगा।