पूर्णिमा तिथि में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का विधान माना जाता है। लेकिन सालभर लगने वाली सभी पूर्णिमाओं में से शहद पूर्णिमा (Sharad Purnima) का महत्व सबसे ज्यादा माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन चंद्रमा की किरणें अमृत बरसाती हैं। इस वजह से ही लोग खीर बनाकर चांद की रोशनी में रखते और बाद में भगवान के प्रसाद स्वरूप उसका सेवन करते हैं। शरद पूर्णिमा दशहरा के ठीक बाद आती है।
कब मनायी जाएगी शरद पूर्णिमा और कब है पूजा का शुभ मुहूर्त?
आइए विस्तार से जान लेते हैं -
इस साल शरद पूर्णिमा 6 अक्तूबर को मनायी जाएगी। 6 अक्तूबर की दोपहर 12.23 बजे से पूर्णिमा तिथि शुरू होगी जो 7 अक्तूबर सुबह 9.16 बजे तक रहेगी। चुंकि शाम के समय 6 अक्तूबर को पूर्णिमा तिथि रहेगी, इसलिए शरद पूर्णिमा 6 अक्तूबर को ही मनायी जाएगी।
मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण तो होता ही है। साथ ही इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत की वर्षा होती है। कहा जाता है कि इस दिन चांद की रोशनी में खीर रखकर अगले दिन उसका सेवन प्रसाद के रूप में करने से व्यक्ति का शरीर और मन दोनों शुद्ध होता है और उसे ऊर्जा की प्राप्ति होती है। इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा का विशेष विधान है
कहा जाता है कि शहर पूर्णिमा के दिन देवी लक्ष्मी को कमल का फूल और नारियल अर्पित करने से देवी प्रसन्न होती हैं और आर्थिक तंगी दूर होती है।