राज्य भर में SIR की सुनवाई की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। मैपिंग में जिन लोगों का नाम मतदाता सूची से हटा दिया गया था उन्हें शनिवार को पहले चरण में बुलाया गया है। लेकिन राज्य भर में सिर्फ बांकुड़ा ही एक ऐसा जिला है जहां सुनवाई की प्रक्रिया अभी तक शुरू नहीं हुई है। पर क्यों? इस बात को लेकर एक बार फिर से राजनैतिक विवाद शुरू हो गया है। बताया जाता है कि बांकुड़ा में सुनवाई की प्रक्रिया 29 दिसंबर से शुरू होगी। बांकुड़ा में क्यों बह रही है उल्टी गंगा?
प्रशासनिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बांकुड़ा जिले के प्रत्येक विधानसभा में करीब 2000 अनमैप्ड मतदाता हैं। जानकारी के अनुसार जिले भर में लगभग 25000 मतदाताओं को सुनवाई के लिए बुलाया गया है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि राज्य भर में सुनवाई की प्रक्रिया शुरू हो जाने के बावजूद बांकुड़ा में दो दिन बाद सुनवाई की प्रक्रिया क्यों शुरू हो रही है?
इस मामले में तृणमूल कांग्रेस ने सीधे तौर पर भाजपा और चुनाव आयोग पर निशाना साधा है। तृणमूल के जिला सचिव तापस सिन्दर ने आरोप लगाते हुए कहा कि बांकुड़ा में तृणमूल का पैर जमा हुआ है। इसलिए यहां वैध मतदाताओं का नाम हटाने के लिए ही यहां देर से सुनवाई की प्रक्रिया शुरू की जा रही है।
हालांकि तृणमूल के आरोपों को खंडित करते हुए भाजपा के जिला सभापति सब्यसाची राय ने कहा कि वैध मतदाता निश्चिंत रहे। उनका नाम किसी भी कीमत पर नहीं हटाया जाएगा। प्रशासन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिले में अनमैप्ड मतदाताओं की संख्या कम होने की वजह से ही सुनवाई की प्रक्रिया देर से शुरू की जा रही है। हालांकि इस बारे में किसी ने कोई बयान नहीं दिया है।
गौरतलब है कि साल 2002 के मतदाता सूची में जिन मतदाताओं की कोई मैपिंग नहीं हो पायी है उनको ही सुनवाई के लिए बुलाया गया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार चुनाव आयोग ने पहले चरण में 31 लाख 68 हजार 424 लोगों को बुलाया है। बताया जाता है कि राज्य भर के 294 विधानसभा केंद्रों में सुनवाई होगी।