समाचार एई समय: भरतपुर के तृणमूल विधायक हुमायूं कबीर ने सोमवार को अपनी पार्टी की औपचारिक घोषणा से पहले ही 2026 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए गठबंधन का संदेश दिया है। उन्होंने यह भी बताया है कि मुर्शिदाबाद जिले में कांग्रेस और CPM के साथ किस फॉर्मूले पर सीटों का तालमेल चाहते हैं। उनके प्रस्ताव के मुताबिक, कांग्रेस को 9 और CPM को 3 सीटें छोड़ने की बात कही गई है। हालांकि हुमायूं को लेकर कांग्रेस और अलीमुद्दीन स्ट्रीट का रुख साफ संकेत दे रहा है कि बार-बार दल बदलने वाले इस नेता की बातों को राज्य की दोनों विपक्षी पार्टियां खास तवज्जो नहीं देना चाहतीं।
मुर्शिदाबाद में कांग्रेस की मुख्य ताकत अधीर चौधरी माने जाते हैं। कांग्रेस वर्किंग कमिटी के इस नेता ने मंगलवार को हुमायूं के एजेंडे पर सवाल उठाए। बहरमपुर में अधीर ने कहा, “पार्टी बनाने का अधिकार सबको है लेकिन यहां ऐसा लग रहा है कि मस्जिद पीछे चली गई और पार्टी पहले आ गई। सिर्फ पार्टी निर्माण ही नहीं, उम्मीदवारों की भी घोषणा की जा रही है। तो क्या पार्टी बनाने के लिए यह मस्जिद निर्माण परियोजना है?”
पश्चिम बंगाल में कांग्रेस किसके साथ चुनावी समझौता करेगी, इस फैसले में अब भी अधीर की बड़ी भूमिका है। हुमायूं की गतिविधियों को लेकर अधीर की टिप्पणी से साफ संकेत मिलता है कि पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भरतपुर के विधायक की नई पार्टी के साथ किसी भी तरह के समझौते के पक्ष में नहीं हैं। CPM की राज्य सचिवमंडली के सदस्य सुजन चक्रवर्ती ने कहा, “हुमायूं कबीर ने पार्टी घोषणा करते समय अपने नाम से मिलते-जुलते लोगों को खोज-खोजकर उम्मीदवार बनाया है। सब समझ रहे हैं कि वह पूरी तरह शौकिया रवैये से काम कर रहे हैं। वे चाहें तो 294 सीटों पर उम्मीदवार उतार दें।”
CPM नेतृत्व का कहना है कि हुमायूं पहले कांग्रेस से तृणमूल, तृणमूल से फिर कांग्रेस, वहां से BJP, BJP से फिर तृणमूल और अब नई पार्टी बना चुके हैं। एक ही नेता कांग्रेस, BJP और तृणमूल-तीनों के टिकट पर चुनाव लड़ चुका है। ऐसे में हुमायूं के साथ किसी तरह के समझौते का सवाल ही नहीं उठता-यह अलीमुद्दीन स्ट्रीट का साफ रुख है।
हुमायूं अंततः किस तरह का राजनीतिक समीकरण बना पाते हैं, इस पर मुख्य विपक्षी दल BJP भी नजर बनाए हुए है। भगवा खेमे के एक वरिष्ठ नेता का कहना है, “अगर हुमायूं कांग्रेस और नौशाद सिद्दीकी की ISF के साथ समझौता कर पाते हैं तो अल्पसंख्यक इलाकों में असर डाल सकते हैं। वरना खुद हुमायूं रेजिनगर से जीत पाएंगे या नहीं, यह कहना मुश्किल है।”