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हांसखाली सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामला : TMC नेता के बेटे समेत 3 दोषियों को आजीवन कारावास की सज़ा

ब्रज उर्फ ​​सोहेल गायली इस मामले में मुख्य आरोपी है। रंजीत मल्लिक और प्रभाकर पोद्दार उसके साथी थे।

By Moumita Bhattacharya

Dec 23, 2025 14:50 IST

राणाघाट महकमा अदालत ने हांसखाली सामूहिक दुष्कर्म मामले में आज अपना फैसला सुनाया। अदालत ने सोमवार को 9 आरोपियों को दोषी ठहराया था। मीडिया रिपोर्ट से मिली जानकारी के अनुसार न्यायाधीश सौमेन गुप्ता ने मंगलवार को तृणमूल नेता के बेटे समेत तीन लोगों को उम्रकैद की सज़ा सुनाई है। उन्होंने इस घटना में दोषी एक नाबालिग समेत दो लोगों को 50,000 रुपए मुचलके पर एक साल की सशर्त जमानत दी है। न्यायाधीश ने बाकी चार लोगों को भी पांच साल की कैद की सज़ा सुनाई है।

बता दें, यह मामला अप्रैल 2022 का है। स्थानीय एक तृणमूल नेता के बेटे सोहेल गयाली और उसके दोस्तों पर नादिया के हांसखाली पुलिस थाना इलाके में जन्मदिन की एक पार्टी में एक नाबालिग किशोरी को बुलाकर शराब पिलाकर उससे सामूहिक दुष्कर्म करने का आरोप लगाया गया। साथ ही आरोप था कि सबूत खत्म करने के लिए किशोरी को जलाकर मार डाला गया था।

कोर्ट ने तीन साल पुराने इस मामले में सबूतों और जांच के आधार पर सोमवार को 9 लोगों को दोषी करार दिया। मंगलवार को दोषियों के लिए सजा की घोषणा की गयी। इस घटना में समरेंद्र गयाली, सोहेल गयाली, प्रभाकर पोद्दार, रंजीत मल्लिक, सुरजीत रॉय, आकाश बारुई, दीप्त गयाली, पीयूषकांति भक्त और अंशुमान बागड़ी को दोषी पाया गया।

Read Also : हांसखाली में किशोरी से सामूहिक दुष्कर्म मामले में 9 दोषी करार, कल होगी सजा की घोषणा

3 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा

ब्रज उर्फ ​​सोहेल गायली इस मामले में मुख्य आरोपी है। रंजीत मल्लिक और प्रभाकर पोद्दार उसके साथी थे। तीनों को सामूहिक दुष्कर्म के मामले में उम्रकैद और POCSO केस में 20 साल के कारावास की सजा सुनाई गई है। वहीं सोहेल गयाली के पिता समर गयाली, दीपता गयाली, पीयूष भक्त पर पीड़ित परिवार को धमकाने और अपराधी में शरण देने का आरोप था। इन्हें पांच साल कारावास की सजा सुनाई गई है। सबूत मिटाने के आरोप में तीन साल के कारावास की सजा सुनाई गयी है।

सुरजीत रॉय और आकाश बारुई को 50 हजार रुपए के मुचलके पर रिहा कर दिया गया। घटना में एक नाबालिग था। इसलिए उसे रिहा कर दिया गया है। दूसरे की उम्र को देखते हुए कोर्ट ने कहा कि उसे एक साल तक निगरानी में रखा जाएगा। अगर इस दौरान उसका बर्ताव ठीक रहा तो प्रोबेशन अधिकारी की रिपोर्ट के आधार पर उसे पूरी तरह रिहा कर दिया जाएगा। अंशुमान बागड़ी को सबूत मिटाने के आरोप में तीन साल कारावास की सजा सुनाई गई है।

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