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शमशेरगंज में पिता-पुत्र की गोदकर हत्या के मामले में 13 दोषियों को उम्रकैद की सजा

जाफराबाद के रहने वाले हरगोविंद दास और उनके बेटे चंदन दास की पिछली 12 अप्रैल को चाकू से गोद कर हत्या कर दी गई थी।

By Somnath Mondal, Posted By : Moumita Bhattacharya

Dec 23, 2025 18:50 IST

शमशेरगंज निवासी हरगोविंद दास और चंदन दास की हत्या के मामले में जंगीपुर महकमा अदालत ने 13 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गयी है। इसके साथ ही न्यायाधीश अमिताभ मुखर्जी ने मंगलवार को राज्य सरकार को मृतक के परिवारों को 15 लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया है।

मुर्शिदाबाद में संशोधित वक्फ कानून के विरोध की वजह से अशांति फैली हुई थी। सुती और शमशेरगंज के कई इलाकों में अशांति फैल गई थी। ऐसे समय में जाफराबाद के रहने वाले हरगोविंद दास और उनके बेटे चंदन दास की पिछली 12 अप्रैल को चाकू से गोद कर हत्या कर दी गई थी।

इस दोहरे हत्याकांड की जांच के लिए IPS सैयद वकार राजा की अगुवाई में एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) बनाई गई थी। SIT ने सीसीटीवी फुटेज, चश्मदीदों के बयान और मोबाइल टावर लोकेशन ट्रैक की जांच की। सोमवार को कोर्ट ने इस मामले में 13 लोगों को दोषी ठहराया।

मंगलवार को सजा की घोषणा करने से पहले राज्य पुलिस के ADG (साउथ बंगाल) सुप्रतिम सरकार ने एक संवाददाता सम्मेलन की। वहां उन्होंने बताया कि 12 अप्रैल को शमशेरगंज में हरगोविंद दास और चंदन दास की हत्या के मामले में शुरुआती एफआईआर में 5 लोगों का नाम था। बाद में इस घटना में 3 और लोगों के शामिल होने का पता चला। बताया जाता है कि इस घटना के 13 आरोपियों को झारखंड, ओडिशा, मुर्शिदाबाद, फरक्का, जंगीपुर से गिरफ्तार किया गया था।

शमशेरगंज की घटना में भारतीय दंड विधि (IPC) की धारा 103 (2) (सामूहिक पिटाई से मौत) के तहत मामला दर्ज किया गया था। राज्य पुलिस के अधिकारियों के समूह का मानना है कि इस धारा के तहत आरोपियों को दोषी ठहराए जाने और सजा दिए जाने से एक मिसाल कायम हुई है। राज्य सरकार ने बताया कि इस दोहरे हत्याकांड में चार्जशीट जमा करने के लिए राज्य पुलिस की STF के अलावा कोलकाता पुलिस के इंटेलिजेंस विभाग और साइबर क्राइम विभाग की मदद ली गई है।

बताया जाता है कि गिरफ्तारी के 56 दिनों के अंदर चार्जशीट दायर कर दी गई है। सीसीटीवी फुटेज की जांच करने, आरोपियों के मोबाइल टावर लोकेशन को ट्रैक करने के अलावा 'गेट पैटर्न' तरीके से भी घटना में आरोपियों के शामिल होने की जांच की गई। फोरेंसिक विशेषज्ञों ने 'गेट पैटर्न' का विश्लेषण करके आरोपियों की पहचान की। इसके अलावा DNA की जांच भी की गयी थी।

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