'बिना योजना के SIR का काम बंद करें', BLO की मौत पर ममता ने आयोग पर हमला बोला

पिछले 9 नवंबर को पूर्व बर्दवान में ब्रेन स्ट्रोक होने से बीएलओ नमिता हांसदा की मौत हो गई थी।

By देवदीप चक्रवर्ती, Posted by: श्वेता सिंह

Nov 19, 2025 15:00 IST

बुधवार सुबह जलपाईगुड़ी जिले के मालबाजार में शांतिमुनी एक्का (48) नाम की एक महिला BLO की मौत हो गई। घटना पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शोक व्यक्त किया है। SIR का काम करते हुए इससे पहले बर्दवान की एक महिला BDO बीमार हो गई थीं। बाद में अस्पताल में उनकी मौत हो गई। परिवार का दावा है कि काम के अत्यधिक दबाव के कारण ही वह बीमार पड़ी थीं। लगातार BLO कर्मचारियों की मौत पर मुख्यमंत्री नाराज हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि स्पष्ट योजना के बिना SIR कराया जा रहा है और इसी कारण उन्होंने आयोग पर तीखा हमला बोला।

एक्स हैंडल पर किए गए पोस्ट में ममता ने कहा, “मैं चुनाव आयोग से कहूंगी कि वह न्यायोचित तरीके से काम करे और किसी की जान जाने से पहले बिना किसी सुनियोजित तरीके के कराये जा रहे इस अपरिकल्पित अभियान को तुरंत बंद करे।”

SIR का विरोध पहले भी कर चुकी है तृणमूल

गौरतलब है कि इससे पहले भी राज्य की सत्ताधारी पार्टी की ओर से SIR का विरोध करते हुए कहा गया था कि एक–दो महीने में यह पूरी प्रक्रिया कैसे पूरी की जा सकती है?

2002 में पश्चिम बंगाल में SIR का काम लगभग डेढ़ साल तक चला था तो फिर सिर्फ एक महीने के भीतर तेजी से बिना गलती के वोटर लिस्ट का गहन पुनरीक्षण कैसे संभव है? तृणमूल ने यह सवाल उठाया था।

SIR शुरू होने के बाद 28 लोगों की मौत का दावा

इसी बीच यह दावा भी किया जा रहा है कि SIR के ‘दहशत’ में राज्य में कई वोटरों की मौत हो चुकी है।

मुख्यमंत्री ममता ने कहा,“SIR शुरू होने के बाद से राज्य में 28 लोगों की मौत हो चुकी है। किसी की डर से, किसी की चिंता के कारण बीमार होने से मौत हो गयी। आयोग के अपरिकल्पित तरीके से कराये जा रहे काम के दबाव के कारण लोगों की जानें जा रही हैं। पहले जिस प्रक्रिया में 3 साल लगते थे, अब राजनीतिक आकाओं को खुश करने के लिए चुनाव से पहले सिर्फ 2 महीने का समय तय कर दिया गया है। BLO कर्मचारियों पर अमानवीय दबाव डाला जा रहा है।”

पिछले कुछ महीनों में कई मौतें—काम के दबाव पर परिवारों की शिकायत

पिछले 9 नवंबर को पूर्व बर्दवान में ब्रेन स्ट्रोक से BLO नमिता हांसदा की मौत हुई थी। वे मेमारी के चक बलरामपुर के 278 नंबर बूथ की BLO के रूप में कार्यरत थीं। बीमार पड़ने पर उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन बचाया नहीं जा सका। परिवार का दावा था कि उन्हें दिन–रात लगातार काम करना पड़ रहा था। काम के दबाव के कारण ही वे बीमार हुई थीं।

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