जयपुर: राजस्थान हाई कोर्ट के जूनियर क्लर्क भर्ती परीक्षा में बड़े घोटाले का मामला सामने आया है। खबरों के अनुसार, ब्लूटूथ और स्पाई कैमरा का इस्तेमाल कर परीक्षा देने के आरोप में स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) ने चार कार्यरत जूनियर क्लर्कों को गिरफ्तार किया है।
एसओजी ने बताया कि गिरफ्तार चार जूनियर क्लर्कों में दीनेश कुमार, मनोज कुमार बोरान, रमेश कुमार और मनीष बुड़िया शामिल हैं। ये सभी राजस्थान के विभिन्न अदालतों में जूनियर ज्यूडिशियल असिस्टेंट या क्लर्क पद पर कार्यरत थे। जांच में सामने आया कि परीक्षा के दौरान ब्लूटूथ डिवाइस और स्पाई कैमरा का उपयोग कर प्रश्नपत्र लीक किया गया था जिसके बाद उम्मीदवारों को जवाब भेजे गए।
पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि ये चारों अभियुक्त जूनियर ज्यूडिशियल असिस्टेंट, क्लर्क ग्रेड-2 और असिस्टेंट क्लर्क ग्रेड-2 की परीक्षाओं में धोखाधड़ी करके चयनित हुए थे। एसओजी की जांच में इस जालसाज़ी गिरोह के सरगना पौरव काले और उसके साथी तुलसीराम काले का भी पता चला। ये लोग उम्मीदवारों से परीक्षा पास करवाने और नौकरी पक्की कराने के नाम पर भारी रकम वसूलते थे। आरोप है कि दीनेश से 3 लाख, मनोज से 4 लाख, रमेश से 5 लाख और मनीष से 3 लाख रुपये लिए गए थे।
पुलिस ने बताया कि तुलसीराम काले ने इसके लिए विदेश से 90 हजार रुपये खर्च कर "इननोवा केम ड्रॉप बॉक्स" नाम का एक हाई-टेक स्पाई कैमरा खरीदा था। यह गिरोह कैसे काम करता था? परीक्षा के दिन गिरोह के दो सदस्य परीक्षार्थी बनकर परीक्षा हॉल में प्रवेश करते थे। प्रश्नपत्र मिलते ही वे स्पाई कैमरे से उसकी तस्वीर लेकर काले को भेज देते थे। इसके बाद काले अपनी विशेषज्ञ टीम से तुरंत प्रश्न हल करवाता था। इसके बाद काले एक विशेष डिवाइस के जरिए उन उम्मीदवारों से संपर्क करता था जिन्होंने ब्लूटूथ डिवाइस पहन रखे होते थे। उन्हें कान में उत्तर बताए जाते थे। नौकरी मिलने के बाद उम्मीदवार गिरोह को तय रकम चुका देते थे।
अब तक इस जालसाज़ी गिरोह के सरगना काले समेत कुल 21 लोगों को एसओजी गिरफ्तार कर चुकी है। हाल ही में गिरफ्तार चार क्लर्कों को अदालत ने 10 दिसंबर तक पुलिस रिमांड में भेजने का आदेश दिया है। एडीजी बंसल ने कहा कि सरकारी भर्ती परीक्षाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए पुलिस कड़ा कदम उठाएगी और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।