पटनाः बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बक्सर जिले स्थित प्रस्तावित नवांनगर विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) का निरीक्षण किया और दावा किया कि यह परियोजना आने वाले वर्षों में राज्य के औद्योगिक परिदृश्य को नया आयाम देगी। 126.5 एकड़ में फैला यह SEZ बिहार के केवल दो स्वीकृत SEZ में से एक है-दूसरा पश्चिम चंपारण के कुमारबाग में स्थित है।
नीतीश कुमार का कहना है कि नवांनगर को बड़े औद्योगिक हब के रूप में विकसित किया जा सकता है। इसके लिए बड़े स्तर पर निवेश की जरूरत है। उन्होंने उद्योग विभाग की ओर से सड़क ढांचा, बिजली आपूर्ति, ड्रेनेज सिस्टम और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर पेश किए गए एक्शन प्लान की समीक्षा की और इसे गति देने के निर्देश दिए।
औद्योगिक संभावना और निवेश का नया केंद्र
नवांनगर क्षेत्र में पहले से ही कई फैक्ट्रियां मौजूद हैं। मुख्यमंत्री के अनुसार यहां औद्योगिक विस्तार की बड़ी संभावनाएं हैं। इस दौरे के दौरान उन्होंने वरुण बेवरेजेज, भारत प्लस इथेनॉल और SLMG बेवरेजेज समेत कई औद्योगिक इकाइयों के संचालन की भी समीक्षा की। पीटीआई की खबर के मुताबिक, सीएम के सामने भूमि उपयोग, वर्तमान औद्योगिक गतिविधियों, निवेश, बाजार कनेक्टिविटी, रोजगार और इंफ्रास्ट्रक्चर सपोर्ट को लेकर विस्तृत प्रस्तुति दी गई।
जानकारी के मुताबिक नवांनगर औद्योगिक क्षेत्र कुल 439.68 एकड़ में फैला है, जिसमें से 337.07 एकड़ जमीन पहले ही आवंटित की जा चुकी है। इनमें से 126.51 एकड़ स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन के रूप में चिह्नित है, जहां एक्सपोर्ट-ओरिएंटेड यूनिटों को जमीन दी जाएगी। इससे न सिर्फ बिहार की एक्सपोर्ट क्षमता बढ़ेगी बल्कि बड़े पैमाने पर स्थानीय रोजगार भी पैदा होगा।
यूपी से कनेक्टिविटी मजबूत होगी, क्षेत्र में व्यापार को बढ़ावा मिलेगा
निरीक्षण के बाद नीतीश कुमार ने बक्सर में बने नए गंगा पुल का हवाई सर्वे भी किया। मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) के अनुसार यह पुल-जिसमें पुराना दो-लेन और नया चार-लेन संरचना शामिल है। यह बिहार और उत्तर प्रदेश के बीच संपर्क को और सुदृढ़ करेगा। इससे क्षेत्र में व्यापार और सामाजिक-आर्थिक विकास को नई गति मिलेगी।
राज्य सरकार की यह पहल बताती है कि बिहार अब इंडस्ट्रियल क्लस्टर्स और निर्यात-आधारित इकाइयों पर फोकस बढ़ा रहा है। नवांनगर SEZ का विकास यदि समयबद्ध ढंग से होता है, तो यह बक्सर को पूर्वी भारत के उभरते विनिर्माण केंद्र में बदल सकता है जिसे अभी अपेक्षाकृत कम विकसित औद्योगिक क्षेत्र माना जाता है।
उत्तर प्रदेश से मजबूत कनेक्टिविटी के साथ यह SEZ इंटर-स्टेट सप्लाई चेन का अहम हिस्सा बन सकता है। चुनौती हालांकि इंफ्रास्ट्रक्चर की गति, निवेश आकर्षित करने की रणनीति और समय पर मंजूरी प्रक्रियाओं में है। यदि ये बाधाएं दूर हुईं तो यह SEZ बिहार की औद्योगिक कहानी को नए अध्याय में ले जा सकता है।