नयी दिल्लीः तृणमूल सांसद अभिषेक बनर्जी की मांग को 646 दिन बीत चुके हैं, लेकिन केंद्र सरकार की ओर से अब तक कोई श्वेतपत्र जारी नहीं किया गया है। 2024 के केंद्रीय बजट के बाद ही तृणमूल सांसद अभिषेक बनर्जी ने लोकसभा में आरोप लगाया था कि बंगाल के साथ मनरेगा (100 दिनों का काम) और आवास योजना के पैसे रोककर अन्याय किया जा रहा है। उन्होंने भाजपा के आरोपों को झूठा बताते हुए इस मुद्दे पर श्वेतपत्र प्रकाशित करने की मांग की थी। लेकिन इतने समय बाद भी केंद्र से कोई जवाब नहीं मिला है।
बुधवार को संसद परिसर में तृणमूल सांसदों ने एक बार फिर वही मांग उठाई। दोला सेन, काकली घोष दस्तीदार, रचना बनर्जी, जून मालिया सहित कई तृणमूल सांसद संसद परिसर में धरने पर बैठे और मनरेगा व आवास योजना के बकाये जारी करने तथा अभिषेक बनर्कीजी मांग के अनुसार श्वेतपत्र सार्वजनिक करने की बात दोहराई।
अभिषेक बनर्जी का आरोप है कि 2021 के विधानसभा चुनाव में बंगाल में हारने के बाद भाजपा नीत केंद्र सरकार ने मनरेगा और आवास योजना के पैसे रोक दिए। उनका कहना है कि ‘2021 में चुनाव हारने के बाद यदि केंद्र ने 100 दिनों के काम के लिए बंगाल को एक पैसा भी दिया हो तो उसे श्वेतपत्र के रूप में सामने लाया जाए। लोग झूठ बोल सकते हैं, लेकिन काग़ज़ नहीं।’
भाजपा का पक्ष यह है कि राज्य सरकार ने मनरेगा के पैसों में अनियमितता की है और असली लाभार्थियों को पैसे नहीं मिले, इसलिए भुगतान रोका गया। इस बकाये को लेकर राज्य सरकार हाई कोर्ट पहुंची। सुप्रीम कोर्ट ने भी 7 नवंबर को केंद्र को निर्देश दिया कि वह बंगाल के सभी बकायों का हलफनामा दाखिल करे और राज्य में मनरेगा कार्य जल्द शुरू किए जाएं।
मंगलवार को कूचबिहार की सभा में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी मनरेगा के मुद्दे पर केंद्र पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि केंद्र ने पैसे देने के लिए नई-नई शर्तें थोप दी हैं। नोटिस दिखाते हुए उन्होंने कहा-'तीन-चार दिन पहले हमें नए लेबर कोड के नाम पर नोटिस भेजी गई है। मनरेगा के पैसे देने के लिए नई शर्तें रखी गई हैं। हम इन्हें मानते भी नहीं और मानेंगे भी नहीं।’
इसी मुद्दे को लेकर बुधवार को संसद परिसर में भी तृणमूल सांसदों ने जोरदार विरोध दर्ज कराया।