नयी दिल्ली: राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् पर राज्यसभा में हुई बहस के दौरान अमित शाह ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। शाह ने कहा कि राष्ट्रीय गीत को दबाने की शुरुआत इंदिरा गांधी के दौर में हुई, जब वंदे मातरम् बोलने वालों को जेल में डाल दिया जाता था और अख़बारों को बंद कर दिया गया था। राष्ट्रीय गीत को लेकर पार्टी की तुष्टिकरण की राजनीति ने देश के विभाजन में भूमिका निभाई।
मेरे जैसे कई लोगों का मानना है कि अगर कांग्रेस ने तुष्टिकरण की नीति के तहत वंदे मातरम् को न बांटा होता तो देश का बंटवारा नहीं होता और आज देश पूर्णता के साथ एक होता। शाह ने यह भी आरोप लगाया कि इंडिया गठबंधन के कई नेता ऐतिहासिक रूप से वंदे मातरम् गाने से इनकार करते रहे हैं और इसके गायन के दौरान लोकसभा से बाहर चले जाते थे। जब हम वंदे मातरम् गाना शुरू करते थे तब इंडिया गठबंधन के कई सदस्यों ने कहा कि वे इसे नहीं गाएंगे। 1992 में भाजपा सांसद राम नाईक ने वंदे मातरम् का गायन फिर शुरू करने का मुद्दा उठाया। उस समय विपक्ष के नेता लालकृष्ण आडवाणी ने इस परंपरा को बहाल करने के लिए स्पीकर से जोरदार अनुरोध किया। लोकसभा ने सर्वसम्मति से इसे मंज़ूरी दी।
यह चर्चा वंदे मातरम् की 150वीं वर्षगांठ और उसकी विरासत को स्मरण करने के लिए संसद के विशेष कार्यक्रमों का हिस्सा है। सोमवार को लोकसभा में हुई बहस में विभिन्न दलों के नेताओं ने बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय की रचना की स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका को रेखांकित किया। यह बहस लगभग 12 घंटे चली। भारत के राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् की 150वीं वर्षगांठ इस वर्ष 7 नवंबर को मनाई गई। बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित यह गीत पहली बार 7 नवंबर 1875 को ‘बंगदर्शन’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ था और बाद में 1882 में उनके प्रसिद्ध उपन्यास आनंदमठ में शामिल किया गया। इसे संगीत गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने दिया था और यह भारत की सभ्यतागत, राजनीतिक और सांस्कृतिक चेतना का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है।