नई दिल्लीः कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को लोकसभा में चुनावी सुधारों पर हुई बहस के दौरान आरोप लगाया कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने चुनाव आयोग सहित कई संस्थानों पर कब्ज़ा कर लिया है। उन्होंने कहा कि जब केंद्र में कांग्रेस-नेतृत्व वाली सरकार बनेगी तो वह उस क़ानून में पिछली तारीख़ से बदलाव करेगी, जो मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और चुनाव आयुक्तों (ECs) को उनके कार्यकाल के दौरान लिए गए फ़ैसलों पर कानूनी कार्रवाई से सुरक्षा प्रदान करता है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा-'हम तुम्हें ढूँढ लेंगे।’ अपने भाषण के दौरान उन्हें कई बार बाधित किया गया क्योंकि भाजपा सदस्य आरोप लगा रहे थे कि वह बहस के विषय से भटक रहे हैं।
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने दावा किया कि चुनाव आयोग के पास उन आरोपों का कोई जवाब नहीं है, जो उन्होंने विभिन्न राज्यों की मतदाता सूचियों में फर्ज़ी मतदाताओं के बारे में लगाए हैं। वे पहले भी प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर भाजपा पर वोट चोरी के आरोप लगा चुके हैं। चुनावी सुधारों का सुझाव देते हुए उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को चाहिए कि वह राजनीतिक दलों को चुनाव से एक माह पहले मशीन पठनीय मतदाता सूची दे और वीडियो फुटेज को 45 दिनों बाद नष्ट करने वाली गाइडलाइन वापस ले। हमें इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों तक पहुंच दे’ और उनकी संरचना यानी आर्किटेक्चर देखने दे और CEC व चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करने वाली चयन समिति की संरचना से संबंधित क़ानून में भी बदलाव करे।
मालूम हो कि मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यकाल) अधिनियम, 2023 की धारा 16, CEC और चुनाव आयुक्तों को कार्यकाल के दौरान लिए गए निर्णयों पर किसी भी कानूनी कार्यवाही से प्रतिरक्षा प्रदान करती है। चुनाव आयोग ने इस वर्ष अपने दिशा-निर्देशों में संशोधन करते हुए चुनाव की वीडियो फुटेज और तस्वीरों के संरक्षण की अवधि परिणामों की घोषणा के 45 दिन बाद तक सीमित कर दी थी। आयोग ने कहा था कि यदि इस अवधि में कोई चुनाव याचिका दायर नहीं होती है तो डेटा नष्ट किया जा सकता है।
अपने भाषण में राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने CBI और प्रवर्तन E जैसी संस्थाओं पर भी कब्ज़ा कर लिया है। आरएसएस की परियोजना देश के संस्थागत ढांचे पर कब्ज़ा करना रही है। विश्वविद्यालयों में कुलपति योग्यता या क्षमता के आधार पर नहीं, बल्कि एक विशेष संगठन से संबंध के आधार पर बैठाए जाते हैं। दूसरा कब्ज़ा-जो लोकतंत्र को नष्ट करने में मदद करता है-खुफिया एजेंसियों का कब्ज़ा, CBI का, ED का, आयकर विभाग का और नौकरशाहों की व्यवस्थित नियुक्ति जो उनकी विचारधारा को बढ़ावा देते हैं और विपक्ष या किसी भी असहमत व्यक्ति को निशाना बनाते हैं।