वंदे मातरम् बहस पर कांग्रेस का हमला-'प्रधानमंत्री और उनकी ब्रिगेड अपनी झूठ के कारण बेनकाब’

जयराम रमेश ने इतिहासकार सुगत बोस की उस टिप्पणी का जिक्र किया, जिसमें कहा गया था कि रवीन्द्रनाथ टैगोर की सलाह पर कांग्रेस ने 1937 में निर्णय लिया कि राष्ट्रीय सभाओं में केवल वंदे मातरम् का पहला भाग ही गाया जाएगा।

By डॉ. अभिज्ञात

Dec 11, 2025 18:43 IST

नई दिल्लीः वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने पर संसद के दोनों सदनों में बहस होने के बाद कांग्रेस ने गुरुवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी पूरी ब्रिगेड अपने झूठों के कारण बुरी तरह घायल और पूरी तरह बेनकाब हो गई है। कांग्रेस के संचार विभाग के प्रभारी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि लोकसभा और राज्यसभा में वंदे मातरम् पर तीन दिनों तक बहस हुई। कुछ भाषणों में राष्ट्रीय गान का भी उल्लेख आया। X पर पोस्ट करते हुए रमेश ने कहा कि यह स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री और उनकी पूरी ब्रिगेड ने राष्ट्रीय गीत और राष्ट्रीय गान पर लिखी दो प्रामाणिक और प्राधिकृत पुस्तकें बिल्कुल नहीं पढ़ी हैं-जिन्हें भारत के दो उत्कृष्ट इतिहासकारों ने लिखा है।

उन्होंने रुद्रांग्शु मुखर्जी की ‘Song of India: A Study of the National Anthem’ और सब्यसाची भट्टाचार्य की ‘Vande Mataram’ नामक पुस्तकों के कवर पृष्ठों के स्क्रीनशॉट भी साझा किए। रमेश ने कहा कि यह उम्मीद करना बहुत ज्यादा होगा कि वे अपने झूठों के कारण पूरी तरह बेनकाब होने के बाद भी इन किताबों को पढ़ेंगे। इससे पहले रमेश ने इतिहासकार सुगत बोस की उस टिप्पणी का जिक्र किया था, जिसमें कहा गया था कि रवीन्द्रनाथ टैगोर की सलाह पर कांग्रेस ने 1937 में निर्णय लिया कि राष्ट्रीय सभाओं में केवल वंदे मातरम् का पहला भाग ही गाया जाएगा और उन्होंने कहा कि यह टिप्पणी प्रधानमंत्री मोदी को और ज्यादा बेनकाब करती है।

लोकसभा में वंदे मातरम् के 150 वर्ष पर बहस सोमवार को हुई थी, जबकि राज्यसभा ने इस पर मंगलवार और बुधवार को चर्चा की। बुधवार को विपक्ष ने भाजपा नेताओं पर इतिहास को तोड़ने-मरोड़ने का आरोप लगाया। रमेश ने कहा कि वंदे मातरम् के 150 वर्ष पर बहस का पूरा उद्देश्य पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को बदनाम करना और रवीन्द्रनाथ टैगोर सहित स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान करना था।

सोमवार को मोदी ने कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए आरोप लगाया था कि नेहरू ने मोहम्मद अली जिन्ना के राष्ट्रीय गीत के विरोध के आगे झुकते हुए वंदे मातरम् के साथ विश्वासघात किया, जिससे यह खंडित हुआ और देश को तुष्टिकरण की राजनीति की राह पर डाल दिया गया। वंदे मातरम् की 150वीं वर्षगांठ पर हुई बहस में सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों के बीच राष्ट्रवाद सहित कई मुद्दों पर तीखी नोकझोंक देखने को मिली।

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