एआई द्वारा बनाई गई सामग्री पर कॉपीराइट मिल सकता है या नहीं?

एआई और कॉपीराइट पर समिति ने सुझाव मांगा है। सुझाव के बाद दो महीने में दूसरा रिपोर्ट पेपर आ सकता है।

By डॉ. अभिज्ञात

Dec 11, 2025 17:07 IST

नयी दिल्ली: कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और कॉपीराइट से जुड़े मुद्दों पर काम कर रही डीपीआईआईटी की समिति अगले दो महीनों में अपना दूसरा पेपर जारी कर सकती है। इस पेपर में यह बताया जाएगा कि एआई द्वारा बनाई गई सामग्री पर कॉपीराइट मिल सकता है या नहीं और उसका लेखक कौन माना जाएगा। यह जानकारी एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने गुरुवार को दी।

समिति ने 8 दिसंबर को पहला पेपर जारी किया था। इसमें सुझाव दिया गया था कि एआई बनाने वाली कंपनियों को एक ऐसा लाइसेंस मिले, जिससे वे कानूनी रूप से उपलब्ध किसी भी कॉपीराइट वाली सामग्री का इस्तेमाल करके अपने एआई मॉडल को ट्रेन कर सकें। लेकिन समिति ने यह भी कहा कि इसका भुगतान कॉपीराइट मालिकों को जरूर मिलना चाहिए। डीपीआईआईटी ने इस पहले पेपर पर जनता और विशेषज्ञों से राय मांगी है।

एआई और कॉपीराइट से जुड़ी बढ़ती समस्याओं को देखते हुए यह समिति 28 अप्रैल 2025 को बनाई गई थी। आठ सदस्यों वाली इस समिति की अध्यक्षता विभाग की अतिरिक्त सचिव हिमानी पांडे कर रही हैं। इसमें उद्योग, शिक्षा जगत और कानून के विशेषज्ञ शामिल हैं। समिति को यह काम सौंपा गया था कि वह एआई से पैदा होने वाले कॉपीराइट संबंधी मुद्दों की पहचान करे, यह जांचे कि मौजूदा कानून इन मामलों के लिए पर्याप्त हैं या नहीं और जरूरत पड़ने पर नए बदलावों की सिफारिश करे। साथ ही एक ऐसा पेपर तैयार करे जिस पर हितधारक अपनी राय दे सकें।

हिमानी पांडे ने बताया कि दूसरा पेपर मुख्य रूप से इस बात पर होगा कि एआई द्वारा बनाई गई सामग्री को कॉपीराइट मिलना चाहिए या नहीं, उसका लेखक कौन होगा और एआई का बनाया गया काम कितना नया या रूपांतरकारी है। समिति का एक और उद्देश्य यह देखना है कि क्या वर्तमान कॉपीराइट कानून इस नई तकनीक से जुड़े मुद्दों को हल कर सकता है या इसमें बदलाव की जरूरत है। समिति को अपने अध्ययन और सुझावों का विस्तृत पेपर तैयार करने की जिम्मेदारी भी दी गई है।

पहले पेपर में कहा गया था कि जेनरेटिव एआई दुनिया में बड़े बदलाव ला सकता है, इसलिए इसके विकास के लिए सही तरह के नियमों की जरूरत है। लेकिन एआई को ट्रेन करने के दौरान अक्सर कॉपीराइट सामग्री का इस्तेमाल बिना अनुमति किया जाता है और एआई द्वारा बनाई गई सामग्री की प्रकृति ने कॉपीराइट कानून को लेकर बड़ी बहस खड़ी कर दी है। पेपर के मुताबिक सबसे बड़ी चुनौती यह है कि मानव-निर्मित रचनाओं के अधिकारों की रक्षा बिना तकनीकी विकास को रोके कैसे की जाए।

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