जम्मू: जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने घोषणा की कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी घटनाओं में मारे गए नागरिकों से जुड़े पुराने और दबे हुए मामलों की फिर से जांच शुरू की जा रही है। उन्होंने कहा कि पीड़ित परिवार वर्षों से न्याय की प्रतीक्षा कर रहे थे। उनकी सहायता के लिए उन्होंने पीड़ित परिवारों को सरकारी नौकरी के नियुक्ति पत्र सौंपने के लिए एक कार्यक्रम आयोजित किया ताकि उनके हालात स्थिर हो सकें।
एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार यह कार्यक्रम जम्मू के कन्वेंशन सेंटर में आयोजित किया गया था, जहां शहीदों के परिजनों (NOKs) को नियुक्ति पत्र दिए गए और लंबे समय से भुला दिए गए मामलों की जांच का भरोसा भी दिलाया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सिन्हा ने कहा कि मैं इस कमरे में मौजूद आतंकवाद के असली पीड़ितों और उनके परिवारों को श्रद्धांजलि देता हूं। वे आतंकवाद और दूसरी ओर पिछली सरकारों की लापरवाही के कारण बिना जवाबों के डर में जी रहे थे। यहां आतंकवाद शुरू होने से लेकर 2019 तक 41,949 लोग आतंकवादी पारिस्थितिकी तंत्र के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं।
उन्होंने कई पुराने आतंकी हमलों का उल्लेख किया जिनमें निर्दोष नागरिक मारे गए और परिवारों को अपनी जिंदगी खुद संभालनी पड़ी। नियुक्ति पत्र सौंपकर सरकार इन परिवारों को एक नई शुरुआत का अवसर दे रही है, जिससे वे समाज में योगदान देते हुए आगे बढ़ सकें।
इसके बाद उन्होंने अतीत के घावों को भरने और भविष्य की ओर बढ़ने की आवश्यकता पर जोर दिया। पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ अपने भाषण में उन्होंने कहा कि अब जम्मू-कश्मीर में ऐसा कोई स्थान नहीं है जहां आतंकियों पर मालाएं चढ़ाई जाएं। पहले कुछ स्थानीय आतंकी समर्थकों को सरकारी नौकरियां दी जाती थीं जबकि असली पीड़ित परिवारों को चुप रहने के लिए मजबूर किया जाता था। मैं चाहता हूं कि सभी लोग इस सरकार पर विश्वास रखें। अब आतंकियों से डरने की जरूरत नहीं है। हालात बदल चुके हैं और अपराधी कठोर सजा से नहीं बच पाएंगे। इसे संभव बनाने के प्रयास तेजी से जारी हैं। पीड़ित परिवारों के पुनर्वास की प्रक्रिया जारी है और आने वाले समय में उनकी स्थिति और बेहतर होगी।