लेहः रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लद्दाख से सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की 125 सामरिक महत्व की अवसंरचना परियोजनाओं का राष्ट्र को समर्पण किया। यह बीआरओ के इतिहास में एक साथ उद्घाटित की जाने वाली सबसे बड़ी संख्या है। इन परियोजनाओं में 28 सड़कें, 93 पुल और 4 विविध निर्माण शामिल हैं। इन पर लगभग 5,000 करोड़ रुपये की लागत आई है। ये परियोजनाएं दो केंद्र शासित प्रदेशों लद्दाख और जम्मू-कश्मीर तथा सात राज्यों अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और मिज़ोरम में फैली हुई हैं। उद्घाटित परियोजनाओं में दर्बुक–श्योक–दौलत बेग ओल्डी सड़क पर स्थित 920 मीटर लंबी श्योक सुरंग विशेष रूप से उल्लेखनीय है, जिसे विश्व के सबसे कठिन और चुनौतीपूर्ण भूभाग में निर्मित किया गया है। यह सुरंग रणनीतिक क्षेत्र को हर मौसम में विश्वसनीय कनेक्टिविटी प्रदान करेगी और भारी बर्फबारी व हिमस्खलन-प्रवण वातावरण में सुरक्षा, सैनिक गतिशीलता और त्वरित तैनाती क्षमता में बड़ा सुधार लाएगी।
इस अवसर पर रक्षा मंत्री ने लद्दाख में गालवान युद्ध स्मारक का भी वर्चुअल उद्घाटन किया, जिसे सशस्त्र बलों के जवानों की वीरता और बलिदान के सम्मान में विकसित किया गया है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार सशस्त्र बल और बीआरओ जैसे संगठन सीमा क्षेत्रों के समग्र विकास के लिए निरंतर और समर्पित रूप से कार्यरत हैं। मजबूत अवसंरचना न केवल सैन्य गतिशीलता और रसद परिवहन को सुगम बनाती है, बल्कि पर्यटन, रोजगार और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देती है तथा विकास, लोकतंत्र और सरकार में जनता का विश्वास और मजबूत करती है। भारत जिस गति से सड़कों, सुरंगों, स्मार्ट फेंसिंग, एकीकृत कमांड केंद्रों और निगरानी प्रणालियों के माध्यम से अपनी सीमाओं को सुदृढ़ कर रहा है, वह इस बात का प्रमाण है कि कनेक्टिविटी सुरक्षा की रीढ़ है। रक्षा मंत्री ने जटिल परियोजनाओं को तेज़ी और दक्षता से पूरा करने तथा स्वदेशी समाधान अपनाने के लिए बीआरओ की सराहना करते हुए कहा कि यह संगठन ‘संचार’ और ‘कनेक्टिविटी’ का पर्याय बन गया है। सीमा क्षेत्रों और राष्ट्रीय मुख्यधारा के बीच संबंध को निरंतर मजबूत करना आवश्यक है, ताकि कोई बाहरी कारक इस रिश्ते को प्रभावित न कर सके।