नयी दिल्लीः पश्चिम बंगाल के औद्योगीकरण को लेकर राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) पर गुरुवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हमला किया। उन्होंने बताया कि कैसे और क्यों बंगाल से उद्योग बाहर जा रहे हैं। इस संदर्भ में उन्होंने आंकड़े और व्याख्या भी प्रस्तुत की।
शुक्रवार को इसके जवाब में टीएमसी ने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री ने संसद को भ्रामक और गलत जानकारी दी है। इसी आरोप में राज्यसभा में तृणमूल की उप-नेत्री सागरिका घोष ने राज्यसभा अध्यक्ष सी. पी. राधाकृष्णन को पत्र लिखा।
तृणमूल सूत्रों के अनुसार, पत्र में सागरिका ने लिखा है कि ‘बंगाल से उद्योग बाहर जाने की जानकारी देने के बावजूद केंद्रीय वित्त मंत्री ने यह नहीं बताया कि पिछले 14 वर्षों में बंगाल में 1 लाख से अधिक कंपनियां पंजीकृत हुई हैं। उन्होंने यह भी नहीं बताया कि बंगाल में औद्योगिक संस्थाओं की वृद्धि दर 83 प्रतिशत है और हर साल लगभग 7,500 कंपनियां नया व्यवसाय शुरू करती हैं।’
टीएमसी का दावा है कि निर्मला सीतारमण ने यह भी नहीं बताया कि 31 जुलाई 2025 तक बंगाल में कुल 2,50,343 कंपनियां पंजीकृत हो चुकी हैं। इसी आधार पर सागरिका के पत्र में कहा गया कि वित्त मंत्री का बयान पूरी तरह से भ्रामक और राजनीतिक उद्देश्यपूर्ण है।
टीएमसी ने केंद्र सरकार से बंगाल में 100 दिन की योजना के तहत बकाया 52,000 करोड़ रुपये देने की मांग को लेकर शुक्रवार को संसद में जोरदार आवाज उठाई। ‘बंगाल के 52,000 करोड़ रुपये क्यों रोक दिए गए, मोदी सरकार जवाब दो’ जैसे नारे भी लगाए गए। राज्यसभा में इस विषय को उठाने के लिए तृणमूल नेता डेरेक ओ’ब्रायन तैयार थे।
हालांकि केंद्रीय कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने अन्य विषय पर वक्तव्य लंबा कर दिया और समय समाप्त होने पर सभा से चले गए। तृणमूल का दावा है कि यह इसीलिए किया गया ताकि डेरेक के सवालों का सामना न करना पड़े।
हालांकि लिखित प्रश्न में डेरेक ने पूछा था कि ‘मनरेगा योजना के तहत बंगाल का बकाया 52,000 करोड़ रुपये क्यों नहीं दिया जा रहा है? सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद बंगाल में 100 दिन का काम क्यों नहीं शुरू किया गया?’