बेंगलुरु। देशभर में इंडिगो की उड़ानें रद्द होने से शुक्रवार तक देश के तमाम एयरपोर्ट पर अफरा-तफरी का माहौल देखा गया। यात्रियों की परेशानी का कोई अंत ही नहीं था। सुबह से देर रात तक एक के बाद एक उड़ानें रद्द होती रहीं और स्थिति इतनी बिगड़ गई कि दिल्ली, बेंगलुरु और अन्य बड़े एयरपोर्टों पर यात्रियों का आक्रोश खुलकर सामने आने लगा। कहीं डेस्क पर थप्पड़ों की आवाज़ गूंजती सुनाई दी, तो कहीं विरोध में यात्रियों ने कपड़े उतारकर प्रदर्शन तक किया। हालांकि सबसे बड़ा सवाल यही था कि दिनभर रद्द की गयी फ्लाइटें आखिर उड़ान कब भरेंगी?
देशभर में इंडिगो की कम से कम हजार उड़ानें रद्द हो गईं। लगातार बढ़ती अव्यवस्था के बीच नागरिक विमानन नियामक डीजीसीए को मजबूर होकर नियमों में अस्थायी ढील की घोषणा करनी पड़ी। इसके कुछ ही घंटों बाद केंद्रीय विमानन मंत्री ने आश्वासन दिया कि तीन दिन के भीतर उड़ान सेवाएं सामान्य हो जाएंगी। हालांकि देर शाम इंडिगो के सीईओ पीटर एल्बर्स ने साफ कर दिया कि स्थिति को पूरी तरह सामान्य करने में कम से कम 10 दिन का समय लगेगा।
दिनभर की घटनाओं ने यह स्पष्ट कर दिया कि देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो के संकट ने केंद्र को भी झुकने पर मजबूर कर दिया। पायलटों के एक वर्ग का आरोप है कि एयरलाइन सरकार पर दबाव बनाने के लिए उड़ानें रद्द कर रही थी। शुक्रवार को जब एक हजार से ज्यादा उड़ानें रद्द कर दी गयीं, स्थिति एकदम आपातकाल जैसी बन गई थी। ऐसे में डीजीसीए ने घोषणा की कि पायलटों की आराम अवधि बढ़ाने संबंधी नई एफडीटीएल नियमावली, जो 1 नवंबर से लागू हुई थी उसे फिलहाल वापस लिया जा रहा है।
इसके तुरंत बाद विमानन मंत्री राममोहन नायडू ने स्पष्ट किया कि मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए मंत्रालय को हस्तक्षेप करना पड़ा है। इस अफरा तफरी के माहौल में बुजुर्ग, छात्र और दिव्यांग लोगों की समस्या को ध्यान में रखते हुए एयरलाइंस को तत्काल सेवाएं सामान्य करने का निर्देश दिया गया है। मंत्रालय ने कहा कि रद्द उड़ानों का पूरा पैसा लौटाना होगा और फंसे यात्रियों के लिए होटल और भोजन की व्यवस्था भी सुनिश्चित करनी होगी। साथ ही यह भी चेतावनी दी गई कि अचानक इतने बड़े पैमाने पर उड़ानें क्यों रद्द की गईं, इसकी उच्चस्तरीय जांच की जाएगी और जिम्मेदारों पर सख्त कार्रवाई होगी।
केंद्र के इस हस्तक्षेप ने पायलटों में भारी असंतोष भी पैदा किया है। पायलटों का कहना है कि वे लगभग दो साल से आराम की अवधि बढ़ाने की मांग कर रहे थे और दिल्ली हाई कोर्ट ने भी इस मांग को सही ठहराया था। अब पुराने नियम लौट आने से उन्हें ऐसा लग रहा है कि वे फिर शून्य पर पहुंच गए हैं। एक पायलट के अनुसार, अत्यधिक काम के दबाव से कई पायलट बीमार पड़ने लगे हैं। उन्होंने बताया कि शुक्रवार को काठमांडू–दिल्ली उड़ान के दौरान को-पायलट अचानक बेहोश हो गए और उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा। पायलटों का अनुमान है कि ऐसे मामले आगे और बढ़ेंगे जिससे उड़ान संचालन फिर बाधित होगा।
हालांकि विमानन मंत्री ने तीन दिन में सामान्य स्थिति का दावा किया है। इस बारे में इंडिगो प्रबंधन का कहना है कि शुक्रवार को अधिक उड़ानें इसलिए रद्द की गईं ताकि पूरे सिस्टम को री-बूट किया जा सके और शनिवार सुबह से एक नई शुरुआत हो। एयरलाइन 10–15 दिसंबर तक पूरी तरह सामान्य स्थिति की उम्मीद कर रही है। पायलटों का मानना है कि अब साप्ताहिक शेड्यूल के बजाय उन्हें रोजाना शेड्यूल दिया जाएगा जिससे काम का बोझ और अस्थिरता बढ़ सकती है।
अचानक से नियम बदलने से पायलटों में असंतोष बढ़ने की आशंका को ध्यान में रखते हुए डीजीसीए के निदेशक फ़ैज़ अहमद किदवई ने देशभर के पायलटों को पत्र लिखकर सहयोग की अपील की है। उन्होंने लिखा कि कोहरे और त्योहारी–शादी के मौसम के कारण उड़ानों पर पहले से ही दबाव है। ऐसे में उनके सहयोग के बिना सुचारु संचालन संभव नहीं। पायलटों की कमी को देखते हुए डीजीसीए ने यह भी कहा कि आवश्यकता पड़ने पर डीजीसीए के अपने पायलट भी इंडिगो की उड़ानें उड़ाएंगे।
उधर, संकट के बीच विपक्ष ने मोदी सरकार और इंडिगो-दोनों पर हमला बोला है। देश की लगभग 60% उड़ानों पर इंडिगो का वर्चस्व होने को विपक्ष ने एकाधिकार का उदाहरण बताया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लिखा - “इंडिगो का यह ढहना मोदी सरकार के एकाधिकारवादी व्यावसायिक मॉडल का नतीजा है। इसकी कीमत आम जनता चुका रही है-फ्लाइट देरी, रद्दीकरण और परेशानियां।”
ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, मंगलवार से गुरुवार रात तक इंडिगो की लगभग हजार उड़ानें रद्द हुई थीं। सिर्फ शुक्रवार को ही एक हजार से अधिक उड़ानें रद्द हो गईं। शुक्रवार सुबह एयरलाइन ने दिल्ली की सभी उड़ानों को रद्द कर दिया। इससे पूरे देश का शेड्यूल अस्त-व्यस्त हो गया। सुबह इंडिगो ने डीजीसीए से अनुरोध किया था कि पायलट और केबिन क्रू की ड्यूटी समयसीमा से जुड़े नियमों में राहत देकर उन्हें 10 फरवरी तक समय दिया जाए लेकिन शाम तक डीजीसीए ने सभी ढील वापस ले ली।
इंडिगो के भीतर जारी पायलट की कमी, बढ़ते उड़ान शेड्यूल और लंबे समय से रुका वेतन-इन सभी कारकों की वजह से ही यह संकट और गहराया है। केंद्र ने अस्थायी तौर पर नियम वापस लेकर एयरलाइन को राहत दी है। हालांकि पायलटों और प्रबंधन के बीच तनाव कम होने के आसार अभी नजर नहीं आ रहे हैं।