माना जाता है कि फीनिक्स एक पौराणिक पक्षी है, जो अपनी मृत्यु के बाद आग की राख से फिर से जन्म लेता है। ऐसा कुछ घटा है कैरिबियन द्वीपसमूह के जंगल में। एक बड़े पेड़ की जड़ के पास पत्थर के नीचे से लौट आया दुनिया का सबसे छोटा सांप 'बारबाडोस थ्रेडस्नेक'। जिसे वैज्ञानिकों ने विलुप्त मान लिया था। वह छोटा सा सांप (अधिकतम लंबाई 3-4 इंच) एक केंचुए के पास मिला। वह केंचुआ लंबाई में सांप से बड़ा था।
लगभग दो दशक पहले इस सांप को आखिरी बार कैरिबियन द्वीपसमूह में देखा गया था। यहीं यह सांप पाया जाता था इसलिए इसका नाम 'बारबाडोस थ्रेडस्नेक' (वैज्ञानिक नाम: टेट्राचिलिस्टोमा कार्लाई) रखा गया। सांप की पहली सिटिंग 1889 में दर्ज की गई थी। लेकिन उसके बाद भी इन्हें बहुत अधिक संख्या में नहीं देखा गया और 2005 के बाद से उसका कोई निशान नहीं मिला।
बेहिसाब शहरीकरण के कारण कैरिबियन द्वीपसमूह के अधिकांश वन क्षेत्र गायब हो गए हैं। इसके परिणामस्वरूप कई प्रजातियों के जीवों का अस्तित्व संकट में है। दो दशकों तक काफी खोजबीन के बाद भी नजर न आने पर वैज्ञानिकों ने मान लिया था कि मनुष्य के साथ कठिन संघर्ष में छोटा बारबाडोस थ्रेडस्नेक हमेशा के लिए हार गया है। लगभग 4,800 विलुप्त प्रजातियों की वैश्विक सूची में उसका नाम भी शामिल हो गया।
लेकिन इस साल खेल पलट गया। बारबाडोस पर्यावरण मंत्रालय ने पिछले मार्च से एक फील्ड सर्वे शुरू किय, जिसका लक्ष्य था पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन का अध्ययन करना। इस सर्वे के प्रोग्राम अधिकारी जस्टिन स्प्रिंगर का मन हालांकि कुछ और कह रहा था- 'मैं तो कई सालों से पत्थर पर पत्थर पलट रहा हूं। एक भी थ्रेडस्नेक नहीं देख पाया। लेकिन मन कह रहा था, वे खो नहीं गए हैं।'
सांप जस्टिन को नहीं मिला। लेकिन उनकी टीम के सदस्य कोनोर रेड्स को मिला। सेंट्रल बारबाडोस में एक बड़े पेड़ के नीचे पत्थर पड़ा था। कोनोर के अनुसार, 'पत्थरों को हटाते ही देखा कि केंचुआ है। लेकिन एक केंचुए के पास जो प्राणी देखा, वह देखने में बिल्कुल केंचुए जैसा नहीं था। वह सा प्राणी चुपचाप जमीन पर पड़ा हुआ था।' कोनोर प्राणी को लेकर जमैका की यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्ट इंडीज आए। माइक्रोस्कोप के नीचे रखते ही उसके शरीर पर धुंधले नारंगी धब्बे दिखाई दिए। नाक के अग्रभाग पर छोटे रेशों में भी नारंगी की छाया थी। अब संदेह की कोई गुंजाइश नहीं थी।
हालांकि इससे वैज्ञानिक जितने उत्साहित हैं, उतने ही चिंतित भी। एक तो बारबाडोस थ्रेडस्नेक अंधा है, उस पर प्रजनन भी अजीब है। एक मादा सांप एक बार में केवल एक अंडा देती है। कोनोर कह रहे हैं, '1889 में यह पहली बार पाया गया था, लेकिन उसके बाद से इन्हें बहुत ज्यादा नहीं देखा गया। यह अनुमान लगाया जा सकता है कि ये संख्या में कभी भी बहुत अधिक नहीं थे, इसलिए यह बात बहुत चिंता की है। प्रजनन के लिए इनके पास साथी की कमी है, इसलिए इन्हें बचाए रखने का काम भी मुश्किल है।'
सांप को फिर से उसके आवास में वापस भेज दिया गया है। वैज्ञानिकों ने बताया कि वे उस पर नजर रख रहे हैं। इस सांप के मिलने के बाद केवल थ्रेडस्नेक की खोज के लिए ही कोनोर के नेतृत्व में एक अलग टीम बनाई गई है। जिस क्षेत्र में सांप मिला था, उसके आसपास बारीकी से तलाशी चल रही है। स्प्रिंगर कह रहे हैं, ' कम से कम उसका साथी ही मिल जाए तो हमें एक मंद रोशनी दिखाई देगी।'