टेक्सासः अमेरिका के टेक्सास राज्य में स्थित 90 फुट ऊंची भगवान हनुमान की मूर्ति को लेकर राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। रिपब्लिकन पार्टी के नेता और सीनेट पद के उम्मीदवार अलेक्जेंडर डंकन ने इस मूर्ति पर नाराजगी जताते हुए इसे नकली हिंदू देवता की मूर्ति बताया है। डंकन की टिप्पणी के बाद सोशल मीडिया पर आलोचनाओं का सिलसिला शुरू हो गया है।
टेक्सास के मंदिर में स्थापित है विशाल मूर्तिः टेक्सास के शुगर लैंड शहर के श्री अष्टलक्ष्मी मंदिर परिसर में स्थित यह हनुमान प्रतिमा वर्ष 2024 में स्थापित की गई थी। 'स्टैच्यू ऑफ यूनियन' के नाम से जानी जाने वाली यह मूर्ति चिन्नाजी स्वामीजी की कल्पना से निर्मित है और अमेरिका की तीसरी सबसे ऊंची मूर्ति मानी जाती है।
रिपब्लिकन नेता ने सोशल मीडिया पर जताई आपत्तिः डंकन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर मूर्ति का वीडियो साझा करते हुए लिखा, 'हम टेक्सास में एक नकली हिंदू देवता की मूर्ति लगाने की अनुमति क्यों दे रहे हैं? हम तो ईसाई हैं।’ इसके बाद उन्होंने एक अन्य पोस्ट में बाइबल से उद्धरण देते हुए लिखा, 'मेरे अलावा तुम्हारा कोई अन्य ईश्वर नहीं होना चाहिए। स्वर्ग में, पृथ्वी पर या समुद्र में तुम अपने लिए किसी भी प्रकार की मूर्ति या किसी चीज की प्रतिमूर्ति नहीं बनाओगे।’
हिंदू संगठनों ने की निंदा: हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन ने डंकन की टिप्पणी को हिंदू विरोधी और समाज में वैमनस्य फैलाने वाली बताया है। संस्था ने रिपब्लिकन पार्टी से डंकन के खिलाफ आंतरिक जांच की मांग की है। फाउंडेशन ने अपनी प्रतिक्रिया में पार्टी को टैग करते हुए सवाल किया है कि क्या वह अपने उम्मीदवार के खिलाफ कार्रवाई करेगी जिसने सार्वजनिक रूप से भेदभावपूर्ण टिप्पणी की है।
सोशल मीडिया पर नागरिकों की नाराजगी: डंकन की टिप्पणी के बाद बड़ी संख्या में नेटिजन्स ने भी विरोध दर्ज कराया है। कई लोगों ने उन्हें याद दिलाया कि अमेरिकी संविधान सभी नागरिकों को धर्म की स्वतंत्रता देता है। एक उपयोगकर्ता, जॉर्डन क्राउडर ने लिखा, 'सिर्फ इसलिए कि आप हिंदू नहीं हैं, इसका मतलब यह नहीं कि यह झूठ है। वेद, यीशु के पृथ्वी पर आने से लगभग दो हजार साल पहले लिखे गए थे। यह एक असाधारण ग्रंथ है, जिसका ईसाई धर्म पर भी प्रभाव है। इसलिए बेहतर होगा कि आप अपने धर्म से पहले के धर्मों का सम्मान करें और उनसे सीखने का प्रयास करें।’
धार्मिक स्वतंत्रता पर फिर उठा सवाल: इस विवाद ने अमेरिका में धार्मिक स्वतंत्रता और सहिष्णुता को लेकर एक बार फिर बहस छेड़ दी है। जहां एक ओर अमेरिकी कानून हर नागरिक को अपने धर्म के पालन और प्रचार की स्वतंत्रता देता है, वहीं दूसरी ओर डंकन जैसे नेताओं की टिप्पणियां धार्मिक असहिष्णुता को बढ़ावा देने वाली मानी जा रही हैं।