परमाणु परीक्षण पर डोनल्ड ट्रंप ने दी दुनिया को चेतावनी, कहा - अगर वे कर सकते हैं तो हम भी!

'अमेरिका फिर से परमाणु परीक्षण शुरू करेगा।' 33 साल बाद फिर से यह फैसला क्यों लिया गया? क्या शीत युद्ध की स्थिति फिर से वापस आने वाली है?

By कौशिक भट्टाचार्य, Posted By : मौमिता भट्टाचार्य

Nov 01, 2025 17:54 IST

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप (Donald Trump) के दक्षिण कोरिया दौरे पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ बैठक होने वाली थी। पूरी दुनिया की नजरें उसी पर टिकी हुई थी। उससे ठीक पहले ट्रंप ने कुछ ऐसा कहा जिससे हंगामा मच गया। दक्षिण कोरिया से ही उन्होंने घोषणा कर दी, 'अमेरिका फिर से परमाणु परीक्षण शुरू करेगा।' 33 साल बाद फिर से यह फैसला क्यों लिया गया? क्या शीत युद्ध की स्थिति फिर से वापस आने वाली है?

एयर फोर्स वन में ट्रंप से पत्रकारों ने यही सवाल पूछा था। शीत युद्ध के समय की तरह ही क्या अमेरिका भूमिगत परमाणु परीक्षण करेगा। इसके जवाब में ट्रंप ने कहा, 'बहुत जल्द पता चल जाएगा। हां, परीक्षण हम करेंगे। अगर दूसरे देश परमाणु परीक्षण कर सकते हैं, तो हम क्यों नहीं करें? इससे ज्यादा और कुछ नहीं कहूंगा।'

कूटनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, ट्रंप चीन और रूस के डर से ही नए सिरे से परमाणु हथियारों का परीक्षण शुरू करने जा रहे हैं। ट्रंप की बात से भी यहीं स्पष्ट हो रहा है। उन्होंने इन दोनों देशों के बराबर परमाणु परीक्षण का निर्देश पेंटागन को दिया है। ट्रुथ सोशल पर धमकी भरे अंदाज में उन्होंने लिखा है, 'दुनिया में सबसे ज्यादा परमाणु हथियार अमेरिका के पास हैं। हमने पिछले कुछ सालों में इन सभी हथियारों का आधुनिकीकरण और पुनर्निर्माण किया है। हम विनाश नहीं चाहते इसलिए परीक्षण नहीं किया। लेकिन हमारे पास कोई और विकल्प नहीं है। रूस दूसरे स्थान पर है। चीन काफी पीछे है। लेकिन आने वाले पांच सालों में वे भी करीब आ जाएंगे।'

वर्तमान में उत्तर कोरिया ही एकमात्र देश है जो नब्बे के दशक से लगातार परमाणु हथियारों का परीक्षण करता आ रहा है। रूस परमाणु हथियार ले जाने वाली मिसाइलों का परीक्षण करता है लेकिन कोई विस्फोट नहीं करता।

अमेरिका ने क्यों बंद कर दिया था परमाणु परीक्षण?

द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद लगभग पूरी दुनिया दो हिस्सों में बंट गई। एक हिस्सा अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी पूंजीवादी राष्ट्रों के गुट का हिस्सा बना। दूसरा सोवियत संघ के नेतृत्व में समाजवादी गुट में चला गया। दोनों गुटों में कभी प्रत्यक्ष संघर्ष तो नहीं हुआ लेकिन छाया युद्ध शुरू हो गया।

अमेरिका ने उस समय यानी 1945-1992 तक लगभग 1,054 परमाणु परीक्षण किए थे। 1992 में अमेरिकी कांग्रेस ने फैसला लिया था कि अगर कोई दूसरा देश परमाणु परीक्षण नहीं करता तो वे भी नहीं करेंगे। 1997 में राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने व्यापक परीक्षण प्रतिबंध संधि (सीटीबीटी) पर हस्ताक्षर किया था। लेकिन सीनेट ने इसकी मंजूरी नहीं दी।

भड़क सकती है तीसरे विश्वयुद्ध की आग

सीनेट ने बिल को मंजूरी नहीं दी। इसलिए ट्रंप परमाणु परीक्षण कर सकते हैं। कानून में कोई रुकावट नहीं है। लेकिन कूटनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इसके कारण फिर से शीत युद्ध का माहौल वापस आ सकता है। उनके अनुसार यह पर्यावरण और आम लोगों के लिए खतरनाक है। सबसे बड़ी बात यह है कि इसकी वजह से तीसरे विश्वयुद्ध की चिंगारी भड़क सकती है।

विशेषज्ञों का यह भी दावा है कि अमेरिका के पास जो हथियार हैं, उनके लिए नए सिरे से परमाणु हथियारों के परीक्षण की कोई जरूरत नहीं है। इसके अलावा खर्च भी वहन करना होगा। हर परीक्षण के लिए लगभग 140 मिलियन डॉलर खर्च होता है। आखिर इतने रुपए कहां से आएंगे?

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