इस्लामाबाद के लिए विरोध प्रदर्शन संभालना टेढ़ीखीर, तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान से क्यों डरती है शरीफ सरकार?

इस्लामाबाद लाहौर हिंसक संघर्ष के कारण अब एक किले में तब्दील कर दिये गये हैं। दोनों के रास्ते कंटेनरों से बंद कर दिये गये हैं। बड़ी संख्या में सेना तैनात है। हिंसा फैलने से रोकने के लिए वर्तमान में कई जगहों पर इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गयी हैं।

By एलिना दत्त, Posted by डॉ.अभिज्ञात

Oct 13, 2025 13:26 IST

इस्लामाबादः पड़ोसी देश पाकिस्तान हिंसा और आंदोलन की आग में झुलस रहा है। इस्लामाबाद लाहौर हिंसक संघर्ष के कारण अब एक किले में तब्दील कर दिये गये हैं। दोनों के रास्ते कंटेनरों से बंद कर दिये गये हैं। बड़ी संख्या में सेना तैनात है। हिंसा फैलने से रोकने के लिए वर्तमान में कई जगहों पर इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गयी हैं। पाक सरकार ने रावलपिंडी में 11 अक्टूबर तक जनसभा पर प्रतिबंध लगा दिया है। तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) संगठन पाकिस्तान में इस अशांत-उत्तेजक स्थिति के लिए जिम्मेदार है। शरीफ सरकार अति दक्षिणपंथी कट्टरपंथी धार्मिक संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) को संभालने में मुश्किलों का सामना कर रही है।

तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान 2015 में दिवंगत धर्मगुरु खादिम हुसैन रिजवी द्वारा स्थापित एक इस्लामपंथी राजनीतिक और आतंकवादी संगठन है। बरेलवी सुन्नी परंपरा के आधार पर बनाया गया TLP संगठन अपनी चरमपंथी विचारधारा के लिए जाना जाता है। इस्लाम के खिलाफ जाने वालों के प्रति इस संगठन का रुख कठोर है, जिसके लिए अक्सर हिंसा, सामूहिक पिटाई जैसे मामलों में शामिल हो जाता है।

दिलचस्प बात यह है कि लब्बैक को पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान का एक प्रतिनिधि माना जाता है। नागरिक सरकारों को कोने में धकेलने और धर्मतांत्रिक राष्ट्र के रास्ते पर ले जाने के लिए इस बल का इस्तेमाल किया जाता है।

2017 में TLP का नाम पहली बार समाचार सुर्खियों में आया। उस समय व्यापक विरोध प्रदर्शन के कारण इस्लामाबाद कई सप्ताह के लिए ठप हो गया था। धर्म के अपमान के आरोप में एक मंत्री को गिरफ्तार करने से सरकार के इनकार पर यह आंदोलन इस्लामाबाद में शुरू हुआ था। यह संगठन हजारों लोगों को एकजुट करके विरोध प्रदर्शन करता है। इस विरोध प्रदर्शन के कारण पाकिस्तान में गंभीर राजनीतिक संकट पैदा हुआ और जनजीवन भी बाधित हुआ था। तब पाकिस्तानी सेना ने गुस्से को संभालने के लिए TLP के साथ एक समझौते के माध्यम से मध्यस्थता की। लेकिन इस समझौते के कारण सरकार के भीतर इतनी अस्थिरता पैदा हुई कि तत्कालीन कानून मंत्री जाहिद हमीद को इस्तीफा देने पर मजबूर होना पड़ा। TLP के इतिहास में यह राजनीतिक क्षेत्र में पहला शक्ति प्रदर्शन था। दबाव डालकर सरकार को अपने अनुसार चलाने की शक्ति उनके पास है यह कई बार सिद्ध हुआ है।

उस समय TLP ने कई हिंसक आंदोलनों का नेतृत्व किया है, जिनमें बड़ी संख्या में कई लोग मारे गये थे। उल्लेखनीय है कि 2021 में उन्होंने नबी मुहम्मद के कार्टून के विरोध में फ्रांसीसी और डेनिश दूतावासों के सामने प्रदर्शन किया। इस विरोध प्रदर्शन के कारण व्यापक हिंसा फैली। 20 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई, जिनमें अधिकांश पुलिस अधिकारी थे। इस हिंसक आंदोलन और चरमपंथी बयानबाजी के कारण अमेरिका ने 2019 में TLP को एक आतंकवादी संगठन घोषित किया। बाद में 2021 में इसे सूचीबद्ध किया गया। पाकिस्तान सरकार ने दो बार TLP पर प्रतिबंध लगाया लेकिन बाद में वह आदेश वापस ले लिया गया।

पाक मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, 2018 के चुनाव के समय पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PMLN) को कमजोर करने और इमरान खान की पीटीआई का रास्ता साफ करने के लिए एलटीपी को रणनीतिक रूप से मैदान में उतारा गया था। सरकार में आने के बाद कृतज्ञता स्वरूप इमरान सरकार ने ही TLP पर से प्रतिबंध हटाया।

अमेरिका ने हाल ही में इज़राइल और हमास के संघर्ष को रोकने और गाजा को लेकर शांति समझौता तैयार किया है। इस्लामाबाद ने ट्रंप सरकार की उस गाजा योजना का समर्थन किया। उसी घटना पर TLP ने निशाना साधा है। यह संगठन फलस्तीन की स्थितियों से दुखी है और गाजा में इज़राइली कार्रवाई का कड़ा विरोधी है। शरीफ सरकार के उस इज़राइल के समर्थन में तैयार गाजा शांति प्रस्ताव पर सहमति जताने से टीएलपीआई का गुस्सा फूट पड़ा। टीएलपीआई फलस्तीन के साथ एकजुटता दिखाने के लिए पाकिस्तान सरकार पर दबाव डालने के लिए TLP ने 'लब्बैक या अक्सा मिलियन मार्च' का आह्वान किया। वहीं से अशांतिअशांति शुुरू हुई।

गुरुवार को लाहौर में TLP कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच व्यापक संघर्ष हुआ। इसमें कई लोग हताहत हुए। पाकिस्तान भर में 150 से अधिक TLP सदस्यों को गिरफ्तार किया गया और सरकार ने धारा 144 लगाई। बंद कर दिया गया इंटरनेट कनेक्शन और संवेदनशील इलाकों को सील कर दिया गया है। पाकिस्तान के कई इलाकों में अभी भी तनाव है।

अतीत में TLP के विरोध प्रदर्शन ने कई बार ठप कर दिया है पाकिस्तान को। TLP के आह्वान पर हजारों अनुयायी भाग लेते हैं। मुख्यतः तर्कको ताक पर रखकर काम करने वाली धर्मांध जनता इनकी अनुयायी है। इसलिए जो लोग इस संगठन के निर्देश पर काम करते हैं उन्हें संभालने में प्रशासन को मुश्किल होती है। TLP के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन तेजी से गंभीर हो सकता है, जो पाकिस्तान में अव्यवस्था फैलाने के लिए काफी है।

इमरान सरकार के प्रतिबंध हटाने के बाद वर्तमान में यह दल राजनीतिक रूप से भी सक्रिय है और उसने प्रांतीय चुनाव में सीट भी जीती है। इसलिए TLP को अवैध घोषित करना या दमन करना अब पाक सरकार के लिए आसान काम नहीं है। विभिन्न समय पर प्रतिबंध और बंदिशों के बावजूद TLP के समर्थक कभी कम नहीं हुए। वर्तमान TLP नेता, संस्थापक के पुत्र, साद हुसैन रिजवी, पश्चिमी वर्चस्व के खिलाफ और फलस्तीन के समर्थन में विरोध प्रदर्शन आयोजित कर रहे हैं, जो अब ट्रंप समर्थक शहबाज शरीफ सरकार के सिरदर्द का मुख्य कारण बन गया है।

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