स्टॉकहोमःहंगरी के लेखक लास्जलो क्रास्नाहोरकाई को 'हर्श्ट 07769' के लिए 2025 का साहित्य नोबेल मिला। स्वीडिश अकादमी ने कहा कि उनकी रचना हिंसा और कला के मिश्रण से सामाजिक अशांति दर्शाती है। यह उपन्यास हिंसा और सुंदरता का अनोखा मिश्रण है। इसमें जर्मनी के थुरिंजन शहर की सामाजिक अशांति को बाख की संगीतमय विरासत के साथ बेहतरीन ढंग से प्रस्तुत किया गया है।
यह उपन्यास एक ऐसी दुनिया दिखाता है, जो अराजकता से भरी है, लेकिन कला की शक्ति को भी रेखांकित करता है। 'हर्श्ट 07769' समाज, कला और मानवता के जटिल रिश्ते को दर्शाती है। उनकी रचनाएं मध्य यूरोपीय साहित्यिकविरासतको आगे बढ़ाती हैं, जिसमें फ्रांज़ काफ्का और थॉमस बर्नहार्ड जैसे लेखकों का प्रभाव दिखता है। स्वीडिश एकेडमी ने कहा कि उनकी कृतियां दुनिया में आतंक और डर के बीच भी कला की ताकत को दिखाती हैं।
पुरस्कार में क्या-क्या?:लास्जलो को भारतीय मुद्रा में 10.3 करोड़ रुपए, सोने का मेडल और सर्टिफिकेट मिलेगा। यह पुरस्कार उन्हें इस साल 10 दिसंबर को स्टॉकहोम में प्रदान किया जायेगा।
लास्जलो को पहले मिले महत्वपूर्ण पुरस्कारःलास्जलो को 2015 में मैन बुकर इंटरनेशनल प्राइज और 2019 में नेशनल बुक अवॉर्ड फॉर ट्रांसलेटेड लिटरेचर मिल चुका है। उनकी किताब सतांटैंगो पर 7 घंटे लंबी फिल्म बन चुकी है।
कथानक की विशेषताएंःलास्जलो हंगरी के सबसे प्रतिष्ठित समकालीन लेखकों में से एक हैं। उनकी किताबें अक्सर बेतुकेपन और अतिशयोक्ति से भरी होती हैं, जो पाठकों की उत्सुकता में जगाती हैं और सोचने पर मजबूर करती हैं। लास्जलो की कहानियों के बारे में कहा जाता रहा है कि वे गहरी सोच वाली उदास कहानियां लिखते हैं। उनकी रचनाएं रहस्यमय घटनाओं और विचित्र अफवाहों से भरी होती हैं। 'संतातागो', 'द मलान्क्ली ऑफ रेजिस्टेंस', 'वार एण्ड वार' और 'एनिमल इन साइड' आदि इनके चर्चित उपन्यास हैं।
लास्जलो की किताब और फिल्मेंः फिल्मी दुनिया में भी लास्जलो ने लेखन किया और कई फिल्मों के स्क्रीनप्ले लिखे हैं, जिनमें से फिल्म 'द ट्यूरिन हॉर्स' ऑस्कर में भी नामांकित हुई।उन्होंने जिन फिल्मों का स्क्रीनप्ले लिखा उन सभी का निर्देशन बेला टैर ने किया है। इसमें डेमनेशन, द लास्ट बोट, संतातागो शामिल हैं। द मैन फ्रॉम लंदन के स्क्रीनप्ले में भी उन्होंने सहयोग दिया।संतातागो उनकी किताब पर आधारित है, जो 7 घंटे लंबी फिल्म है। इसे अब तक की सर्वश्रेष्ठ आर्टहाउस फिल्मों में शुमार किया जाता है। यह उपन्यास एक छोटे से गांव और वहां के लोगों की कठिनाई भरे जीवन के आस-पास बुनी गयी है, जिसमें अराजकता, फरेब और और मानव स्वभाव की कमजोरियों को उजागर किया गया है। उनकी एक और कृति पर भी 'द मेलांकली ऑफ रेसिस्टेंस' नाम की फिल्म बन चुकी है।
जन्म, शिक्षा, कामकाज और व्यक्तिगत जीवनः लास्जलो का जन्म5 जनवरी 1954 को हंगरी के ग्युला शहर में हुआ। उनके पिता जॉर्जी क्रास्नाहोरकाई एक वकील थे और वे मध्यमवर्गीय परिवार से थे। उनकी मां जूलिया पालिनकास एक सामाजिक सुरक्षा प्रशासक थीं। उन्होंने 1972 में एर्केल फेरेंक हाई स्कूल से स्नातक किया और लैटिन विषय में विशेषज्ञता हासिल की। 1973 में क्रास्नाहोरकाई ने योजेफ अटिला विश्वविद्यालय में कानून की पढ़ाई की। उनका पहला उपन्यास 'संतातागो' चर्चा में आ गया और उसने उन्हें स्थापित कर दिया। लास्जलो ने दो विवाह किये। दूसरी शादी नहीं टिक पाई। लास्जलो की तीन बेटियां हैं। पहले वे बर्लिन में कई साल रहे, जहां फ्री यूनिवर्सिटी ऑफ बर्लिन में एस. फिशर गेस्ट प्रोफेसर थे। उन्होंने चीन, मंगोलिया, जापान, अमेरिका, स्पेन, ग्रीस में लंबा समय बिताया है। फिलहाल वे हंगरी के सेंटलास्लो पहाड़ियों में एक एकांतवासी की तरह रहते हैं।
साहित्य में नोबेल पुरस्कार 121 बारः नोबेल पुरस्कारों की स्थापना 1895 में हुई थी। पहला पुरस्कार 1901 में दिया गया।1901 से 2024 तक साहित्य के क्षेत्र में121 बार सम्मानित किया जा चुका है।पिछले कुछ वर्षों में एनी एर्नाक्स, बॉब डायलन, अब्दुलरजाक गुरनाह, लुईस ग्लुक, पीटर हैंडके, ओल्गा टोकरजुक आदि को यह मिला है। पिछले साल यह पुरस्कार दक्षिण कोरियाई लेखिका हान कांग को मिला, जिनका उपन्यास 'द वेजिटेरियन' चर्चित है। शुरुआत में ये पुरस्कार भौतिकी, रसायन विज्ञान, मेडिसिन, साहित्य और शांति के क्षेत्रों में दिए जाते थे। 1968 में स्वीडन के केंद्रीय बैंक ने अपनी स्मृति में आर्थिक विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार की स्थापना की।
एशिया के पहले नोबेल विजेता हैं टैगोरःरवीन्द्रनाथ टैगोर एशिया के पहले ऐसे लेखक थे, जिन्हें साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला, जो उन्हें 1913 में उनके कविता संग्रह गीतांजलि के लिए दिया गया था।