गाजा : हमास सशस्त्र समूह को निशाना बनाने की बात कहकर राहत शिविर के असहाय लोगों पर ही इजरायल एक के बाद एक हमला किए जा रहा है। इजरायली सेना के हमले में घर-बार तबाह हो जाने के कारण मजबूर होकर युद्ध से तबाह कई फिलिस्तीनियों ने राहत शिविर के तंबुओं में शरण ली थी। वे भी इजरायली आक्रमण से बच नहीं पा रहे हैं। बुधवार को इजरायल डिफेंस फोर्स (आईडीएफ) की गोलाबारी में कम से कम 85 फिलिस्तीनी मारे गए। उनमें से अधिकांश गाजा सिटी के निवासी माने जा रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय संबंध के विशेषज्ञ पिछले कुछ हफ्तों से चल रहे हमलों में इसे सबसे भयानक हमला मान रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, गोलीबारी से बचने के लिए दाराज के फिरास मार्केट के आसपास के कई स्थानों पर कई फिलिस्तीनियों ने शरण ली थी। गुरुवार की तड़के अचानक उस शिविर पर ड्रोन हमला किया गया। गाजा सिटी के अस्पताल प्रशासन ने बताया कि मारे गए लोगों में 20 महिलाएं और कई बच्चे शामिल थे।
इजरायली सेना ने इस दिन सिर्फ गाजा सिटी पर ही हमला नहीं किया। सेंट्रल गाजा में भी इजरायली हमले में कई फिलिस्तीनी मारे गए। वहां के नुसरात शरणार्थी शिविर में ही कम से कम 12 लोग मारे गए। दीर अल-बाला में एक चार सदस्यीय परिवार को भी हिरासत में लिया गया है। हालांकि इजरायली सेना का दावा है कि वे हमास को ही निशाना बना रहे हैं। रक्षा मंत्री इजरायल कार्ट्ज का कहना है, 'हमास से जुड़े जो भी लोग हैं, उन सभी को इजरायल मारेगा।' लेकिन अंतरराष्ट्रीय मंच सवाल उठा रहा है कि राहत शिविर में रहने वाले आम लोग क्या वास्तव में हमास के सदस्य हैं।
संयुक्त राष्ट्र का दावा है कि बेंजामिन नेतन्याहू की सेना गाजा में आतंक फैलाकर वहां के हजारों नागरिकों को देश छोड़कर भागने के लिए मजबूर कर रही है। दूसरी ओर, गाजा में राहत सामग्री भेजने वाली संस्था के माध्यम से इटली और स्पेन ने सामान भेजा था। आरोप है कि उनके राहत वाहन गाजा पहुंचने से पहले ही ड्रोन हमले का शिकार हो गए। गाजा में कार्यरत स्वयंसेवकों का दावा है कि उन्हें आश्वासन दिया गया था कि समुद्री मार्ग से अन्य देशों की ओर से राहत भेजने के मामले में नेतन्याहू सरकार सैन्य हमले को रोकने में सहयोग करेगी। लेकिन उसके बाद भी आईडीएफ उसी तरह से आक्रमण जारी रखे हुए है।
इस दिन के हमले के जवाब में यमन के हूती सशस्त्र बल ने इजरायल पर हमला किया। दक्षिणी इजरायल पर इस ड्रोन हमले में कम से कम 22 लोग घायल हुए हैं। बाद में हालांकि इस हमले की जिम्मेदारी लेते हुए यमन के हूती बल ने बताया कि फिलिस्तीनियों का समर्थन करने के लिए ही उन्होंने यह कदम उठाया है।