ओटावा (कनाडा): कनाडा को लंबे अरसे तक भारतीय छात्रों के लिए आकर्षण का केन्द्र बना रहा। उच्च शिक्षा और बेहतर करियर के लिए वे कनाडा को अपना गंतव्य चुनते थे। वहाँ के विश्वस्तरीय विश्वविद्यालय और इंजीनियरिंग व तकनीकी पाठ्यक्रम उन्हें अपनी ओर खींचते थे। साथ ही कनाडा की सरकार की छात्रों को लेकर ‘Study, Work, Stay’ यानी पढ़ो, काम करो और यहीं बसो का आह्वान प्रोत्साहित करता था। स्थायी निवास अर्थात पीआर पाने और वहीं नौकरी के लिए वे लालायित रहते थे। सुरक्षित माहौल, बहुसांस्कृतिक समाज और सस्ती शिक्षा उन्हें अपने लिए अनुकूल लगती थी। लेकिन अब हालात एकदम बदल गये हैं। कनाडा सरकार ने हाल ही में विदेशी छात्रों के वीज़ा नियम सख़्त कर दिए हैं, जिसका सर्वाधिक असर भारतीय छात्रों पर पड़ा है और उन्हें वहाँ का वीज़ा मिलना बहुत मुश्किल हो गया है।
भारतीय छात्रों के 74% वीज़ा आवेदन खारिजः सरकारी आँकड़ों के अनुसार अगस्त 2025 में भारत से भेजे गए 74% वीज़ा आवेदन खारिज कर दिए गए, जबकि गत वर्ष इस माह में यह दर 32% ही थी। बदलते हालात के कारण कनाडा का आकर्षण भी उनमें कम हुआ है और भारत से आवेदन करने वाले छात्रों की संख्या बहुत घटी है। अगस्त 2023 में जहां आवेदकों की संख्या 20,900 थी, जो 2025 में 4,515 रह गई।
वीज़ा सख़्ती का कारणः कनाडा ने यह कदम वीज़ा धोखाधड़ी रोकने और अस्थायी प्रवास पर नियंत्रण के लिए उठाया है। मालूम हो कि 2023 में 1,550 फर्जी वीज़ा आवेदन पकड़े गए थे, जिनमें से अधिकतर भारतीय छात्रों के थे। उनमें नकली कॉलेज प्रवेश पत्र लगे थे। 2024 में कनाडा की नई जांच प्रणाली ने 14,000 से अधिक संदिग्ध दस्तावेज़ पाये जिसके बाद जांच प्रक्रिया और सख़्त कर दी गयी और छात्रों के लिए बैंक बैलेंस की शर्तें भी बढ़ा दी गयीं।
अस्थायी वीज़ा रद्द करने की भी तैयारीः हालांकि कनाडा की विदेश मंत्री अनीता आनंद कहती है कि सरकार अपने इमिग्रेशन सिस्टम को पारदर्शी रखना चाहती है, लेकिन वह चाहती है कि भारतीय छात्र कनाडा में पढ़ाई के लिए आते रहें। हालांकि कनाडा अब भारत और बांग्लादेश से आने वाले कुछ अस्थायी वीज़ा रद्द करने की नई शक्तियाँ चाहता है, जिसके लिए नया कानून बिल सी-12 लाया जा रहा है। कनाडा की संसद में पेश हुए इस बिल में प्रस्ताव है कि कनाडा को यह अधिकार दिया जाये कि वह कभी भी किसी अस्थायी वीजा वाले भारतीय प्रवासी को बाहर निकालने का आदेश दे सके और यह भी अधिकार मिले कि किसी अस्थायी वीजा को जारी ही ना होने दे। मानवाधिकार संगठनों का मानना है कि इससे सामूहिक निर्वासन जैसे हालत पैदा हो सकते हैं।
वीज़ा प्रक्रिया में देरीः भारत से आने वाले अस्थायी वीज़ा पहले यह सिर्फ 30 दिन में निपटते थे, अब अब औसतन 54 दिन में हो रहे हैं। मंजूर किए गए वीज़ा की संख्या भी 63,000 से घटकर 48,000 रह गई है। कई छात्रों का कहना है कि अब स्थायी निवास (पीआर) या नौकरी पाना भी पहले जैसा आसान नहीं रहा। कनाडा के मशहूर वाटरलू विश्वविद्यालय में पिछले 3–4 साल में भारतीय छात्रों की संख्या दो-तिहाई तक घट गई। रेजाइना और सास्केचेवान विश्वविद्यालयों की भी यही हालत है।
भारत सरकार के हालत सुधारने के प्रयासः भारत सरकार कनाडा में भारतीय छात्रों के लिए स्थिति सुधारने के लिए वहां के अधिकारियों से लगातार संपर्क में है। दूतावास ने कनाडा को याद दिलाया है कि भारतीय छात्र विश्व के बेहतरीन छात्र हैं और उनकी शिक्षा और प्रतिभा से कनाडाई संस्थानों को लाभ हुआ है। भारत और कनाडा के बीच राजनयिक संबंध सुधारने के लिए उच्चायुक्तों की नियुक्ति और प्रधानमंत्री स्तर पर वार्ता की जा रही है।