बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया फिर चुनाव लड़ेंगी, 3 सीटों पर दावेदारी पेश करेंगी

By तुहीना मंडल, Posted by: लखन भारती

Nov 04, 2025 00:03 IST

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया फरवरी 2026 के चुनाव में तीन सीटों से उम्मीदवार होंगी। उनकी पार्टी BNP को मजबूत दावेदार माना जा रहा है। उनके बेटे तारिक रहमान भी चुनाव लड़ेंगे।

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया फिर से चुनाव लड़ेंगी। उनकी पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) ने सोमवार को बताया कि वह फरवरी 2026 के आम चुनाव में हिस्सा लेंगी। 80 साल की खालिदा जिया बांग्लादेश की राजनीति में लंबे समय से एक बड़ा नाम हैं। पार्टी के नेता मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने कहा कि वह तीन अलग-अलग सीटों से चुनाव लड़ेंगी।

खालिदा जिया की सेहत ठीक नहीं है। वह कई साल जेल में रही हैं। 2018 में प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार ने उन्हें भ्रष्टाचार के मामले में सजा दी थी और उन्हें विदेश जाकर इलाज करवाने से रोका गया था लेकिन अगस्त 2024 में जब हसीना की सरकार गिर गई, तो थोड़े समय बाद खालिदा जिया को जेल से रिहा कर दिया गया।

3 बार प्रधानमंत्री रह चुकीं है खालिदा

खालिदा जिया तीन बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रह चुकी हैं। उनकी पार्टी BNP अब आगामी चुनावों में मजबूत दावेदार मानी जा रही है। खालिदा के बेटे तारिक रहमान, जिनकी उम्र 59 साल है, भी चुनाव लड़ेंगे। उन्हें बांग्लादेश में तारिक जिया कहा जाता है।

तारिक 2008 से ब्रिटेन में रह रहे हैं और कहते हैं कि उन्होंने राजनीतिक दबाव और उत्पीड़न से बचने के लिए देश छोड़ा था। पार्टी नेता आलमगीर ने बताया कि वे भी चुनाव में हिस्सा लेंगे। हाल ही में उन्हें 2004 में शेख हसीना की रैली पर हुए ग्रेनेड हमले के मामले में लगी आजीवन सजा से बरी कर दिया गया है।

जिया और शेख हसीना की दुश्मनी

बांग्लादेश की राजनीति लंबे समय से खालिदा जिया और शेख हसीना की प्रतिद्वंद्विता से जानी जाती है। इस टकराव को लोग बैटल ऑफ द बेगम्स कहते हैं। दोनों के बीच दुश्मनी की शुरुआत 1975 में शेख हसीना के पिता शेख मुजीबुर रहमान की हत्या के बाद हुई। उनकी हत्या के तीन महीने बाद खालिदा जिया के पति और आर्मी के डिप्टी चीफ जियाउर रहमान ने सत्ता संभाली।

जियाउर 1977 में राष्ट्रपति बने। 1981 में उनकी हत्या कर दी गई। इसके बाद 35 साल की खालिदा जिया ने BNP का नेतृत्व संभाला। शुरुआत में लोग उन्हें अनुभवहीन मानते थे, लेकिन उन्होंने सैन्य शासक हुसैन मुहम्मद इरशाद के खिलाफ आंदोलन किया और बाद में शेख हसीना के साथ मिलकर 1990 में इरशाद की सरकार गिराने में बड़ी भूमिका निभाई। इसके बाद दोनों ने लगभग 15 साल तक बारी-बारी से सत्ता चलाई।

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