वाशिंगटनः दुर्लभ खनिजों ( रेयर अर्थ) के वैश्विक बाजार में चीन का बढ़ता दबदबा अब अमेरिका के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस चुनौती से निपटने के लिए भारत और यूरोपीय देशों को साथ लाना चाहते हैं। हालांकि, टैरिफ (वित्तीय शुल्क) के विषय पर अमेरिका के वित्त सचिव स्कॉट बेसेंट ने कोई टिप्पणी नहीं की।
यह चीन बनाम पूरी दुनिया हैःस्कॉट बेसेंटः फॉक्स न्यूज़ को दिए गए एक साक्षात्कार में वित्त सचिव स्कॉट बेसेंट ने कहा कि यह चीन बनाम पूरी दुनिया है। चीन ने रेयर अर्थ की आपूर्ति श्रृंखला को निशाना बनाया है। हम इसे सहन नहीं करेंगे। चीन का मुकाबला करने के लिए हम भारत और यूरोपीय देशों से सहयोग की उम्मीद कर रहे हैं।
सैन्य उपकरणों में रेयर अर्थ की अहम भूमिकाः रेयर अर्थ मैग्नेट अमेरिका के रक्षा उपकरणों का एक आवश्यक हिस्सा है। F-35 फाइटर जेट, पनडुब्बियां, प्रीडेटर ड्रोन, टॉमहॉक मिसाइलें और आधुनिक रडार — इन सभी में रेयर अर्थ तत्वों का प्रयोग होता है। दूसरी ओर इन खनिजों का सबसे बड़ा भंडार चीन में है और निर्यात बाजार पर भी उसका नियंत्रण है। ऐसे में सप्लाई चेन के क्षेत्र में भी चीन की ही पकड़ है।
चीन की पकड़ को कमजोर करना चाहता है अमेरिकाः अमेरिका अब रेयर अर्थ के बाजार में चीन की इस मजबूत स्थिति को चुनौती देना चाहता है। वित्त सचिव बेसेंट का कहना है कि हम कोई जोखिम नहीं उठाना चाहते। राष्ट्रपति ट्रंप महत्वपूर्ण खनिजों, सेमीकंडक्टर और फार्मास्युटिकल उद्योग को फिर से खड़ा करना चाहते हैं। यही उनका ‘अमेरिका फर्स्ट एजेंडा’ है।
भारत पर टैरिफ, फिर भी मदद की उम्मीदः एक ओर अमेरिका ने भारत पर 50% टैरिफ लगाया है, और दूसरी ओर वही अमेरिका अब चीन के प्रभाव को कम करने के लिए भारत से सहयोग चाहता है। इस विरोधाभासी रणनीति को देखकर विशेषज्ञ भी हैरान हैं।
भारत में रेयर अर्थ की कितनी संभावनाएं?: भारत में रेयर अर्थ तत्वों की उपलब्धता को लेकर तस्वीर अब तक स्पष्ट नहीं है। अनुमान है कि भारत में लगभग 72.3 लाख टन रेयर अर्थ ऑक्साइड मौजूद है, जो कि 131.5 लाख टन मोनाजाइट खनिज के रूप में पाया जा सकता है। इसी को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने 'नेशनल क्रिटिकल मिनरल स्टॉकपाइल' (NCMS) नामक एक नई योजना भी शुरू की है।
भारत और एशिया से सहयोग की उम्मीदः वित्त सचिव बेसेंट का कहना है कि हम मित्र देशों के साथ संपर्क में हैं। इस सप्ताह उनसे मुलाकात भी करूंगा। उम्मीद है कि यूरोप के साथ-साथ भारत और एशिया के अन्य उभरते देशों से भी सहयोग प्राप्त होगा।