कुद्दुस अफराद, ढाकाः बांग्लादेश में विभिन्न पूजा मंडपों में सनातन धर्मावलंबियों के सबसे बड़े त्योहार दुर्गापूजा की तैयारियां पूरे जोर-शोर से चल रही हैं। अधिकांश मंडपों में प्रतिमा के ढांचे पर मिट्टी का काम पूरा हो चुका है और रंग-तूलिका का कलाकार्य चल रहा है। रविवार सुबह महालया के बाद से ही पूजा की औपचारिकताएं शुरू हो गई हैं।
सनातन धर्मावलंबियों का विश्वास है कि शरद ऋतु में देवी दुर्गा कैलाश पर्वत से अपने परिवार के साथ मर्त्यलोक आती हैं, इसलिए देशभर में देवी वंदना की तैयारियां चल रही हैं। पितृपक्ष के अंत और देवीपक्ष के शुरू होने की तिथि यह महालया है। रविवार को बांग्लादेश की नदियों में हिंदू समुदाय के लोगों ने अपने पितृपुरुषों को तर्पण दिया। पूजा उद्यापन परिषद के अनुसार, इस बार ढाका और पूरे देश में पूजा की संख्या बढ़ी है।
ढाका के कुछ पूजा मंडपों का दौरा करने पर देखा गया कि प्रतिमाओं के रंग और सजावट का काम शुरू हो गया है। ढाकेश्वरी राष्ट्रीय मंदिर, राजारबाग कालीमंदिर, रामकृष्ण मिशन सहित ढाका शहर के स्थायी मंदिरों में दुर्गापूजा की तैयारियां पूरे जोर-शोर से चल रही हैं।
रमना कालीमंदिर परिसर में भी वही तैयारियां चल रही हैं। वहां भी प्रतिमा के ढांचे पर मिट्टी का काम पूरा करके सुखाने का काम चल रहा है। अब रंग का काम शुरू होगा। रमना कालीमंदिर के प्रतिमा कलाकार रतन पाल ने बताया कि प्रतिमा बनाने का काम लगभग पूरा हो चुका है। निर्धारित समय के भीतर प्रतिमा पूजा के लिए तैयार हो जाएगी। इस कालीमंदिर के अधिकारियों ने बताया कि मंदिर प्रबंधन की सभी तैयारियां अंतिम चरण में हैं। समग्र सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन से सहयोग मिल रहा है।
महालया के अलावा दुर्गोत्सव के तीन महत्वपूर्ण पर्वों में से अन्य दो हैं बोधन और संधिपूजा। इस अवसर पर मंदिरों और पूजा मंडपों में विभिन्न धार्मिक रीति-रिवाजों की तैयारियां की जा रही हैं। चंडीपाठ के अलावा मंगलघट स्थापना तथा ढोल-कांसा और शंख बजाकर भक्त देवी को मर्त्यलोक में आमंत्रित करते हैं।
बांग्लादेश पूजा उद्यापन परिषद के अनुसार, पिछले साल पूरे देश में 31,461 मंडपों और मंदिरों में शारदीय दुर्गापूजा हुई थी। इनमें से ढाका महानगर क्षेत्र में पिछले साल 252 मंडपों और मंदिरों में दुर्गापूजा हुई थी। बांग्लादेश पूजा उद्यापन परिषद के अध्यक्ष बासुदेव धर ने शनिवार को मीडिया को बताया कि इस साल बांग्लादेश में 33,355 मंडपों और मंदिरों में दुर्गापूजा आयोजन की तैयारियां चल रही हैं। इनमें से ढाका महानगर के 258 मंडपों और मंदिरों में दुर्गापूजा आयोजन की तैयारियां की गई हैं। पूजा के मद्देनजर प्रधान सलाहकार मुहम्मद यूनुस के साथ पूजा उद्यापन परिषद के नेताओं ने बैठक की है।
जिला प्रशासनों ने तैयारी बैठकें की हैं। पूजा मंडपों की सुरक्षा, कानून-व्यवस्था और निगरानी रखने तथा संबंधित विभिन्न मुद्दों पर सरकार ने तैयारियां कर रखी हैं। इस बार की पूजा के दौरान प्रधान सलाहकार यूनुस न्यूयॉर्क में रहेंगे। जाने से पहले उन्होंने रामकृष्ण मिशन और ढाकेश्वरी मंदिर का दौरा करके समिति के पदाधिकारियों को आश्वासन दिया है कि प्रशासन हर समय उनके साथ रहेगा।
गृह सलाहकार जहांगीर आलम चौधरी ने कानून-व्यवस्था संबंधी सलाहकार समिति की बैठक के बाद बताया कि आगामी 24 सितंबर से सभी मंडपों में कानून-व्यवस्था बल तैनात किए जाएंगे। उससे पहले, सुरक्षा की दृष्टि से पूजा समितियों को प्रत्येक मंडप में सात स्वयंसेवक रक्षक रखने होंगे। इस साल दुर्गापूजा की सुरक्षा के लिए कानून-व्यवस्था बलों की संख्या बढ़ाई गई है। पुलिस, रैपिड एक्शन बटालियन, अनसार बल के सदस्य सुरक्षा की जिम्मेदारी में रहेंगे। इस बार की पूजा निर्विघ्न होगी। कहीं भी किसी तरह का कोई जोखिम नहीं है।
इसके बावजूद नागरिक समाज के साथ गठित मंच 'सम्प्रीति यात्रा' ने दुर्गापूजा के मद्देनजर देश के 29 जिलों को 'संवेदनशील' चिह्नित किया है। उसने ढाका, रंगपुर, यशोर, चांदपुर और नोआखाली-इन पांच जिलों को ' अति संवेदनशील' बताया गया है। सम्प्रीति यात्रा के संगठक मीर हुजैफा अल-मामदूह ने कहा, 'दुर्गापूजा को लेकर सुरक्षा का जोखिम है। 2024 के जन-उत्थान के बाद भी इस क्षेत्र में कोई सकारात्मक बदलाव नहीं आया है। अन्य सालों की तरह इस बार भी पूजा से पहले ही कुमिल्ला, कुष्टिया, बरिशाल और चटगांव के कुम्हारपाड़ा में सड़क किनारे रखी प्रतिमाओं के ढांचे तोड़े या नष्ट किए गए हैं। एक जगह पिछले साल की प्रतिमा और मंडप के पास की काली प्रतिमा तोड़ी गई है। पूजा समितियों के नेताओं ने इस विषय में सरकार से और अधिक सतर्क रहने को कहा है।