बांग्लादेश के खागड़ाछड़ि में हिंसा का आरोप भारत पर, हालांकि आरोप का विरोध भी उसी देश में

एक स्कूली किशोरी के बलात्कार के आरोप के बाद फैली हिंसा का आरोप भारत पर लगा है और इलाके में सात दिन से तनाव का माहौल है। आरोप बांग्लादेश के गृह सलाहकार सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद जहांगीर आलम चौधरी ने लगाया है, हालांकि इस आरोप का विरोध बांग्लादेश में ही हो रहा है।

By अमर्त्य लाहिड़ी, Posed by डॉ.अभिज्ञात

Sep 30, 2025 18:21 IST

ढाकाः एक स्कूली किशोरी के बलात्कार के आरोप को लेकर पिछले सात दिनों से बांग्लादेश का पहाड़ी जिला खागड़ाछड़ि में तनाव है। मंगलवार को भी इस जिले में 'जुम्म छात्र-जनता' के बैनर तले सड़क अवरोध जारी है। पिछले शुक्रवार से जिले के सदर और गुईमारा उपजिलों में प्रशासन द्वारा जारी धारा 144 लागू है। क्या इस हिंसा के पीछे भारत का हाथ है?

यह आरोप बांग्लादेश के गृह सलाहकार सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद जहांगीर आलम चौधरी ने लगाया है। रविवार रात को बांग्लादेश सेना की ओर से एक विज्ञप्ति जारी कर इस हिंसा के लिए 'यूनाइटेड पीपल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट' या UPDF नामक एक संगठन को जिम्मेदार ठहराया गया था। लेकिन सोमवार को ढाका में पुलिस के एक कार्यक्रम में सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद जहांगीर आलम चौधरी ने दावा किया कि 'भारत और फासिस्टों' के उकसावे पर इस तरह की घटनाएं हो रही हैं।

बांग्लादेशी गृह सलाहकार ने कहा, 'हमारे देश में सनातन धर्मियों का एक बड़ा त्योहार चल रहा है। यह त्योहार आनंदमय माहौल में मनाया जाए, इसके लिए हमने हर तरह की व्यवस्था की है। लेकिन एक वर्ग नहीं चाहता कि यह सही तरीके से हो। खागड़ाछड़ि में वे अशांति फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।'

हालांकि, खागड़ाछड़ि के बारे में उनकी इस टिप्पणी का विरोध बांग्लादेश में ही शुरू हो गया है। उनकी टिप्पणी की आलोचना करते हुए अर्थशास्त्री प्रोफेसर अनु मुहम्मद ने कहा, 'एक के बाद एक विफलता के कारण एक व्यक्ति (गृह सलाहकार) के इस्तीफे की मांग उठ रही है किन्तु वे पद पर बैठे हुए हैं। उनकी निर्लज्ज मुस्कान अभी भी देखी जा सकती है। वह बिना किसी जांच के ही खागड़ाछड़ि की घटना में भारत की साजिश देख रहे हैं।'

स्थानीय प्रशासन की उदासीनता के कारण अब तक हुए खूनी संघर्ष और गोलीबारी की घटनाओं में सरकारी आंकड़ों के अनुसार तीन लोग मारे गए हैं और लगभग पचास लोग घायल हुए हैं। हताहतों में सेना अधिकारी, सैनिक, पुलिस और आम नागरिक शामिल हैं। हमले, आगजनी और संघर्ष में कई घर-बार और संपत्तियों को नुकसान पहुंचा है।

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