कुआलालंपुरः कुआलालंपुर में हुए 20वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोमवार को कहा कि आतंकवाद एक लगातार और खतरनाक खतरा है, और दुनिया को इसके खिलाफ शून्य सहनशीलता (Zero Tolerance) की नीति अपनानी चाहिए। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि आतंकवाद के खिलाफ आत्मरक्षा का हमारा अधिकार कभी समझौते का विषय नहीं हो सकता और इसके प्रति दोहरी नीति की कोई जगह नहीं होनी चाहिए। इस सम्मेलन में हिंद-प्रशांत क्षेत्र के कई देशों के नेता और प्रतिनिधि शामिल हुए थे।
जयशंकर का यह वक्तव्य भारत की ओर से दिए गए राष्ट्रीय बयान का हिस्सा था। उन्होंने कहा कि दुनिया आज भी कई संघर्षों से जूझ रही है, जिनके गंभीर और दूरगामी प्रभाव गाज़ा और यूक्रेन के हालात हैं। इन संघर्षों से न केवल लोगों को भारी कष्ट झेलने पड़ रहे हैं, बल्कि ये खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा आपूर्ति और व्यापार को भी प्रभावित कर रहे हैं। भारत गाज़ा शांति योजना का समर्थन करता है और यूक्रेन में युद्ध का जल्द अंत चाहता है।
आसियान (ASEAN) देशों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता दोहराते हुए जयशंकर ने कहा कि पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने में अहम भूमिका निभा रहा है। भारत समुद्री सहयोग को मज़बूत करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो आसियान इंडो-पैसिफिक दृष्टिकोण और 1982 के समुद्री कानून के अनुरूप है। जयशंकर ने यह भी प्रस्ताव दिया कि अगला ईएएस समुद्री विरासत उत्सव गुजरात के प्राचीन बंदरगाह लोथल में आयोजित किया जाए।
इस शिखर सम्मेलन में भारत, अमेरिका, चीन, जापान, ऑस्ट्रेलिया और आसियान देशों के नेता शामिल हुए। बैठक का मुख्य उद्देश्य क्षेत्रीय सहयोग, आर्थिक स्थिरता और वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों पर चर्चा करना था। सम्मेलन की 20वीं वर्षगांठ पर, नेताओं ने पिछले वर्षों की प्रगति की समीक्षा की और भविष्य के लिए ऐसी नीतियों पर ज़ोर दिया जो पूर्वी एशिया में शांति, स्थिरता और विकास को बढ़ावा दें। सम्मेलन में ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति भी विशेष अतिथि के रूप में शामिल हुए, क्योंकि वे क्रमशः ब्रिक्स और जी20 के मौजूदा अध्यक्ष हैं। उनकी भागीदारी से यह स्पष्ट होता है कि आसियान और अन्य वैश्विक समूहों के बीच सहयोग लगातार मज़बूत हो रहा है।