ढाका: कानूनी बाध्यताओं का मामला सुनिश्चित नहीं होने के कारण जुलाई घोषणापत्र हस्ताक्षर समारोह में शेख हसीना सरकार के खिलाफ विद्रोह में नियामक की भूमिका निभाने वाले छात्रों की राजनीतिक पार्टी एनसीपी आज भाग नहीं लेगी। पार्टी के संयोजक नाहिद इस्लाम ने कहा, 'कानूनी आधार और आदेश की गारंटी के बिना यदि हम घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करना निर्रथक होगा। इसलिए यह मामला सुनिश्चित नहीं होने तक जुलाई घोषणापत्र हस्ताक्षर समारोह में हम भागीदार नहीं होंगे।'
नाहिद ने एक नई शर्त रखते हुए कहा कि हस्ताक्षर से पहले ही जुलाई घोषणापत्र कार्यान्वयन के जो आदेश का मसौदा है, उस पर सभी को सहमत होना होगा और राष्ट्रपति के बजाय मुहम्मद यूनुस को आदेश जारी करना होगा।
जमात-ए-इस्लामी ने भी कहा कि वह राष्ट्रीय संसद के दोनों सदनों में पीआर पद्धति से मतदान और जुलाई घोषणापत्र में आगामी नवंबर में जनमत संग्रह आयोजन का प्रस्ताव शामिल नहीं किए जाने पर घोषणापत्र पर हस्ताक्षर नहीं करेगी। पार्टी के महासचिव मिया गुलाम परवार ने कहा, 'शुक्रवार जुलाई घोषणापत्र का हस्ताक्षर समारोह आयोजित किया गया है। जुलाई घोषणापत्र को लेकर जिन मामलों का निपटारा नहीं हुआ है, चर्चा के आधार पर यदि उनके समाधान का अवसर मिले तो हमें हस्ताक्षर समारोह में जाने पर आपत्ति नहीं होगी।
संविधान के चार मूल सिद्धांतों का उल्लेख नहीं होने सहित कई अन्य कई कारणों से चार वामपंथी राजनीतिक पार्टियां-बांग्लादेश की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीबी), बांग्लादेश की समाजवादी पार्टी (बासद), बासद (मार्क्सवादी) और बांग्लादेश जासद जुलाई घोषणापत्र पर हस्ताक्षर नहीं करेंगी। इस गठबंधन के नेताओं ने बताया कि 4 मूल सिद्धांतों की अनदेखी की गयी तो जुलाई घोषणापत्र पर हस्ताक्षर संभव नहीं है। इन मूल सिद्धांतों के साथ सामाजिक मानवीय गरिमा, मूल्य, न्याय और धार्मिक मूल्यों को जोड़ना होगा। नेताओं का आरोप है कि सर्वसम्मति आयोग ने जानबूझकर विभाजन बनाकर रखा है।
कुल मिलाकर आज, शुक्रवार को धूमधाम से मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय सर्वसम्मति आयोग द्वारा बांग्लादेश की राष्ट्रीय संसद भवन के दक्षिणी प्लाजा के खुले स्थान पर 'जुलाई घोषणापत्र हस्ताक्षर' का जो समारोह आयोजित किया गया है, वह एनसीपी, जमायत और कई वामपंथी दलों की कड़े रुख के कारण फीका पड़ने जा रहा है। राष्ट्रीय सर्वसम्मति आयोग के सह-अध्यक्ष अली रियाज ने बताया है कि यदि कोई राजनीतिक दल शुक्रवार को घोषणापत्र पर हस्ताक्षर नहीं कर पाए तो बाद में हस्ताक्षर करने का अवसर होगा। अवधि समाप्त होने के कारण राष्ट्रीय सर्वसम्मति आयोग की अवधि चौथी बार 31 अक्टूबर तक बढ़ाई गई है।