क्या ट्रम्प भारत के सॉफ्टवेयर पर भी शुल्क लगाएंगे? देश का आईटी सेक्टर चिंतित

By अंशुमान गोस्वामी

Sep 22, 2025 13:03 IST

एई समय , नयी दिल्लीः डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन की शुल्क नीति के कारण भारत के कई सेक्टरों का व्यापार प्रभावित हुआ है। उच्च दर पर टैरिफ के कारण अमेरिका में कई उत्पादों का निर्यात कम होने वाला है। इसके परिणामस्वरूप टेक्सटाइल, ज्वेलरी, फुटवियर जैसे कई सेक्टर नुकसान का सामना कर रहे हैं। ट्रम्प प्रशासन की गतिविधियों को लेकर अब भारत का सूचना प्रौद्योगिकी सेक्टर चिंतित हो गया है। ट्रम्प प्रशासन सॉफ्टवेयर निर्यात पर शुल्क लगा सकता है। इस चिंता से आईटी सेक्टर के विभिन्न संगठनों के अधिकारियों की नींद उड़ गई है।

सॉफ्टवेयर निर्यात पर शुल्क लगाने, वीजा नियंत्रण की कठोरता और दोहरे कराधानॉ जैसे कई मुद्दों को लेकर भारत के आईटी उद्योग की चिंता बढ़ रही है। हालांकि ट्रम्प प्रशासन की ओर से सॉफ्टवेयर और इससे संबंधित सेवाओं के निर्यात पर शुल्क लगाने के बारे में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। फिर भी ट्रम्प के करीबी पीटर नवारो और अन्य कंजरवेटिव नेताओं के बयानों और सोशल मीडिया पोस्ट से आईटी सेक्टर की चिंता बढ़ रही है।

भारत के प्रौद्योगिकी सेवा आउटसोर्सिंग सेक्टर का मूल्य लगभग 28,300 करोड़ डॉलर है। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, इंफोसिस, एचसीएल टेक, विप्रो जैसी कंपनियां इस सेवा से जुड़ी हैं। इन सभी कंपनियों का प्राथमिक कार्यबल भारत में है लेकिन इस सेक्टर की आय का 60 प्रतिशत अमेरिका से आता है। ट्रम्प प्रशासन द्वारा नए शुल्क लगाए जाने पर यह दोहरे कराधान की स्थिति पैदा करेगा। यह भारतीय आईटी कंपनियों की लागत बढ़ाएगा और लाभ को कम करेगा।


ए-1बी वीजा और अन्य रोजगार आधारित वीजा के नियम कठोर होने पर, भारतीय आईटी कंपनियों को ब्रिटेन या पड़ोसी देशों में लोगों को नियुक्त करना पड़ सकता है। यह कंपनियों की लागत बढ़ाएगा और कार्य योजना की जटिलता को बढ़ाएगा। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक अस्थिरता, बढ़ती मुद्रास्फीति और एआई आधारित स्वचालन के विस्तार के कारण भी आईटी सेक्टर के विभिन्न अनुबंधों में देरी हो रही है। इसके परिणामस्वरूप कंपनियों की कई योजनाएं प्रभावित हो रही हैं।


हालांकि एचएफएस ग्रुप के मुख्य विश्लेषक फिल फर्स्ट का मानना है कि सॉफ्टवेयर पर शुल्क का संदेश नीति निर्धारण के लिए उतना नहीं है, जितना कि राजनीतिक है। जैसे भारत के आईटी सेक्टर का बड़ा बाजार अमेरिका है, वैसे ही अमेरिका भी भारत के आईटी और इंजीनियरिंग सेक्टर पर काफी निर्भर है। अमेरिका के विभिन्न टेक दिग्गजों के अधिकारी भी भारतीय प्रतिभा पर भरोसा करते हैं इसलिए उन विशेषज्ञ का मानना है कि ट्रम्प प्रशासन को इस मामले में फैसला लेने के लिए बहुत सोच-विचार करना होगा।

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